
राष्ट्रीय राजमार्ग हमीरपुर-मंडी के डबल लेन सड़क की चौड़ीकरण में बरती जा रही अनियमितताओं और अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे कटाव और उससे होने वाली क्षति को लेकर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, मोर्थ, राज्य सरकार, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, बीआरएम सहित गावर कंपनी को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जियालाल भारद्वाज की खंडपीठ ने इस मामले में सभी प्रतिवादियों से अगली सुनवाई से पहले जवाब दायर करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
इस मामले से संबंधित एक जनहित याचिका किसान सभा और दूसरी डॉ. अनुपमा की ओर से दायर की गई है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि निर्माण करने कंपनियों और ठेकेदारों ने हमीरपुर-मंडी राजमार्ग चौड़ीकरण करते वक्त नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, इसकी वजह से पर्यावरण और लोगों के घरों को नुकसान हो रहा है। याचिकाओं में डीपीआर का हवाला देते हुए बताया कि मौजूदा परियोजना पहाड़ी इलाके से गुजरती है। वर्तमान सड़क 124 किलोमीटर लंबी है और 109.592 किलोमीटर तक चौड़ीकरण प्रस्तावित है, जिसके लिए 104 किलोमीटर लंबाई में भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव है। लगभग 5 किलोमीटर हिस्से में मरम्मत कार्य प्रस्तावित है, क्योंकि यह हिस्सा पहले ही पेव्ड शोल्डर के साथ दो-लेन में विकसित किया जा चुका है।
यह राजमार्ग 6 तहसीलों (हमीरपुर, भोरंज, सरकाघाट, धर्मपुर, कोटली और मंडी) और 97 गांवों से होकर गुजरता है। याचिकाकर्ताओं और क्षेत्र के निवासियों की मुख्य चिंता ठेकेदारों द्वारा काम किए जाने के अवैज्ञानिक तरीके को लेकर है। इस अवैज्ञानिक तरीके के कारण भारी भूस्खलन, मलबा और बोल्डर गिर रहे हैं। साथ ही निर्माण सामग्री को नालों में फेंका जा रहा है, जिससे पानी का प्राकृतिक बहाव रुक गया है। प्राकृतिक बहाव रुकने से उस क्षेत्र के कई निवासियों के घरों और कृषि भूमि को नुकसान हुआ है। संलग्न तस्वीरों में भी दिखाया गया है कि कैसे आस-पास के निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। एनएचएआई ने बताया कि निर्माण कार्य प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अपने ठेकेदारों के माध्यम से करवा रहे हैं। अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना में किसान सभा की ओर से एक आवेदन भी दायर किया गया है, जिसमें प्रभावित क्षेत्र का गूगल साइट प्लान की प्रति को रिकॉर्ड पर रखा गया है। अदालत ने कहा कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान से संबंधित सभी पर्यावरणीय मुद्दों पर पहले से ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय विचार कर रहा है।





