
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में मेयर-डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्षदों में गुटबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस के आठ पार्षद शनिवार शाम शहरी विधायक हरीश जनारथा से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे। यह सभी पार्षद मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर इस बार नए चेहरों को बैठाने की वकालत करते रहे। देर शाम तक विधायक के साथ अगले महीने होने वाले मेयर-डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर मंत्रणा चलती रही। सूत्रों के अनुसार यह
सभी पार्षद नए मेयर और डिप्टी मेयर की तैनाती को लेकर अड़ गए हैं। इनका कहना है कि रोस्टर में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
इस बार रोस्टर के अनुसार जिस श्रेणी को मौका मिलना है उससे संबंधित पार्षदों को मेयर और डिप्टी मेयर बनाया जाए। पार्षदों ने दावा किया कि कई और पार्षद भी उनके संपर्क में हैं जो किसी कारण शुक्रवार को बैठक में नहीं पहुंच पाए हैं। आगामी बैठकों में यह भी उनके साथ आएंगे। 24 में से 14 से ज्यादा पार्षद साथ होने का दावा किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पार्षदों ने विधायक से उनका पक्ष मुख्यमंत्री के सामने रखने को कहा। विधायक ने कहा कि इस मामले में वह जल्द मुख्यमंत्री से बात करेंगे। नगर निगम सदन में 34 में से कांग्रेस के 24 पार्षद हैं। 15 नवंबर महापौर और उप महापौर का ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के पार्षद सक्रिय हो गए हैं।
अगला मेयर कौन बनेगा, इस पर सबकी नजरें हैं। वर्तमान महापौर सुरेंद्र चौहान और उप महापौर उमा कौशल का दावा अभी भी मजबूत है। रोस्टर में संशोधन की स्थिति में ही दोनों अपने पदों पर बने रह सकते हैं। कांग्रेस के कई और पार्षद दावेदारी करने की तैयारी कर रहे हैं। राजधानी में मेयर, डिप्टी मेयर पदों पर गरमाई सियासत पर शुक्रवार दिन भर नगर निगम में खासी चर्चा रही। बगावत पर उत्तरा बड़ा दूसरे पार्षदों को अपने साथ आने के लिए तैयार करता रहा। फोन पर तो 12 से ज्यादा पार्षद तैयार हुए लेकिन बैठक के लिए सिर्फ आठ ही पहुंचे। कई पार्षद निजी कारणों का हवाला देकर बैठक में नहीं पहुंचे। वहीं इन पार्षदों को बैठक की सूचना सुबह ही महापौर कार्यालय में भी पहुंच गई। यहां से कई पार्षदों को फोन घुमाए गए, उनसे कामों को लेकर पूछा गया। साथ ही बैठक में जाने को लेकर भी बात कह गई। शहर में चुनाव को लेकर चर्चाओं का माहौल गरमाने लगा है।
मंत्री से नहीं मिल पाए जल्द बैठक की तैयारी
इन पार्षदों की शुक्रवार शाम ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह से भी मिलने की योजना थी लेकिन मंत्री के उपलब्ध न होने के कारण यह बैठक नहीं हो पाई। विधायक से मिलने के बाद देर शाम तक यह पार्षद आपस में भी बैठक कर आगामी रणनीति बनाते रहे। अगले कुछ दिनों में सभी ग्रामीण विकास मंत्री और शहरी विकास मंत्री के पास जाने की भी तैयारी कर रहे हैं।





