
भाई को सड़क हादसे में खो देने का ग़म बहुतों को तोड़ देता है, लेकिन नूरपुर के गंगथ की अंजू ने उसी दर्द को सेवा के संकल्प में बदल दिया। समय पर एंबुलेंस न मिलने से भाई की मौत हुई, तो उन्होंने ठान लिया कि अब किसी और को समय पर मदद न मिलने से न मरना पड़े। आज वही अंजू एंबुलेंस चालक बनकर संकट में फंसे मरीजों के लिए जीवनदायिनी बन चुकी हैं।
दिसंबर 2023 में हुए एक सड़क हादसे में अंजू के बड़े भाई की जान चली गई थी। एंबुलेंस देर से पहुंची, और भाई ने दम तोड़ दिया। इस हादसे ने अंजू को भीतर तक झकझोर दिया। उन्होंने तय किया कि वह खुद एंबुलेंस चलाना सीखेंगी ताकि किसी और की जान देर होने से न जाए। अपने फैसले को अमल में लाने के लिए अंजू ने जसूर स्थित एचआरटीसी (हिमाचल पथ परिवहन निगम) से 60 दिन का ड्राइविंग प्रशिक्षण लिया। उन्होंने भरमौर कॉलेज से बीए की पढ़ाई पूरी की और करीब पांच साल तक भरमौर में बतौर चालक कार्य किया। अब अंजू रणजीत बक्शी जनकल्याण सभा द्वारा नूरपुर अस्पताल को दी गई एंबुलेंस में सेवाएं दे रही हैं।
अंजू अब तक चंडीगढ़, अमृतसर, शिमला और टांडा जैसे शहरों तक आपातकालीन सेवाएं दे चुकी हैं। वह कहती हैं कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। हौसला हो तो हर मंजिल हासिल की जा सकती है। फुर्सत के पलों में सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहने वाली अंजू आज कई महिलाओं के लिए साहस और संवेदना की मिसाल बन गई हैं।
मदद न मिलने से न जाए किसी और की जान
भाई की मौत ने मुझे तोड़ने के बजाय मजबूत किया। अब मेरा लक्ष्य है कि किसी मरीज को समय पर मदद मिल सके। – अंजू, एंबुलेंस चालक, गंगथ (नूरपुर)





