World Stroke Day 2025: बदले लाइफस्टाइल से बढ़ रहे स्ट्रोक के मामले, आईजीएमसी में हर साल 400 मरीज हो रहे भर्ती

समय के साथ लाइफस्टाइल में आए बदलाव से स्ट्रोक के मरीजों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। बीपी, शुगर और हाइपरटेंशन जैसे रोगों से ग्रस्त मरीजों और धूम्रपान करने वालों में इस रोग के अधिक मामले पाए गए हैं। अकेले आईजीएमसी में सालाना 300 से 400 मरीज उपचार के लिए भर्ती होते हैं। स्ट्रोक के लक्षण नजर आने पर तुरंत बड़े अस्पतालों में साढ़े चार घंटे में पहुंचने पर दिए जाने वाले प्राथमिक उपचार से पक्षघात के मरीजों के ठीक होने की पूरी संभावना होती है।

आईवी थ्रोंबोलिसिस उपचार की तकनीक में मरीज को इंजेक्शन लगाने पर खून को पतला करने को इंजेक्शन दिए जाने पर नाड़ी में खून का प्रवाह सामान्य किया जा सकता है। स्ट्रोक के मुख्य रूप से दो कारण रहते हैं, जिसमें एक दिमाग की नसों में थक्का जमने पर खून का प्रवाह रुक जाता है, जो शरीर के अंगों को सीधे प्रभावित करता है। इसमें अंग काम करना बंद तक कर देते हैं। वहीं इससे गंभीर ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग की नसें फट जाती है, जिससे खून के रिसाव होता है। इससे व्यक्ति बेहोश तक हो जाता है। इसके उपचार की प्रक्रिया अलग रहती है।

स्ट्रोक के ज्यादातर मरीज 61 से अधिक आयु के आईजीएमसी में 2021 से 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार भर्ती स्ट्रोक के ज्यादातर मरीज 61 से अधिक आयु के हैं। इनमें पुरुषों का प्रतिशत 64 फीसदी, जबकि महिलाओं का प्रतिशत 36 रहा। स्ट्रोक के कारण धूम्रपान, शराब, हाइपरटेंशन, रक्तचाप और शुगर, चर्बी के बढ़ने, हृदय की लय का बिगड़ना हैं। स्ट्रोक आने पर समय से प्राथमिक उपचार दिए जाने पर नाड़ी बंद होने या नाड़ी के फट जाने के मामले का उपचार भी किया जा सकता है। प्रदेशभर में लोगों को स्ट्रोक को लेकर जागरूक करने को एचपी टेलीस्ट्रोक अभियान चलाया गया है।

पक्षघात या स्ट्रोक के प्रारंभिक लक्षण
बोलने या समझने में परेशानी
सिर में दर्द, बेहोशी या उल्टियां
चेहरे का टेढ़ा होना, शरीर के एक हिस्से टांग या बाजू का सुन्न होना या कमजोरी महसूस होना
एक या दोनों आंखों में धुंधलापन
चलने में दिक्कत या चक्कर आना
विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह
चमियाना सुपर स्पेशीलिटी अस्पताल के न्यरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक की समस्या आने पर समय से मरीज को तुरंत सीटी स्कैन की सुविधा वाले अस्पताल में लेकर जाएं और प्राथमिक उपचार दें। इसमें घरेलू उपचार या नुस्खे अपनाने में समय बर्बाद न करें। अस्ताल में साढ़े चार घंटे के भीतर मरीज के पहुंचाने पर उपचार कर मरीज की स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए जीवन शैली बदलें, इसमें अपने खानपान में बदलाव लाना जरूरी होता है। बीपी और शुगर के मरीजों और धूम्रपान करने वाले या शराब सेवन करने वाले लोगों को खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है।
सर्दियों में रखें खास ख्याल
ऐसे मरीजों को सर्दियों में खास ख्याल रखने की जरूरत है। इसमें गर्म कपड़े पहनकर शरीर को गर्म रखेंं, पर्याप्त गुनगुना पानी पीएं, बिस्तर से सीधे उठकर बाहर निकलकर सैर न करें, चिकित्सक की सलाह पर व्यायाम करें, दवाओं का नियमित सेवन करें, तनाव से बचें, धूम्रपान और शराब का सेवन न करें, अधिक तेल वाले पदार्थ न खाएं।

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