
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 24 घंटे पानी की सुविधा देने के लिए तैयार हो रही सतलुज पेयजल योजना पर बजट का संकट गहरा गया है। विश्व बैंक से इस योजना के लिए 587 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं लेकिन कंपनी तक सिर्फ 250 करोड़ ही पहुंचे हैं। बाकी पैसा कहां अटका है, इस पर कोई जवाब देने को तैयार नहीं है। वहीं बैंक से बजट जारी होने के बावजूद पैसा नहीं मिलने पर अब को ऋण लेना पड़ रहा है। कंपनी 100 करोड़ रुपये का ऋण लेने की तैयारी कर रही है। इस बारे में प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है।
इस पर सरकार की मंजूरी ली जानी है। अगले हफ्ते मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने जा रही कंपनी के निदेशक मंडल की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। निदेशक मंडल की मंजूरी के बाद कंपनी ऋण लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। कंपनी का कहना है कि पेयजल और सीवरेज योजनाओं के कार्यों के लिए बजट को लेकर निदेशक मंडल की बैठक में चर्चा की जाएगी। शिमला शहर में 24 घंटे पानी देने और हर घर को सीवरेज लाइन से जोड़ने के लिए विश्व बैंक की मदद से काम चल रहा है। करीब 370 करोड़ रुपये से पहले चरण में सतलुज से शिमला तक पानी लाया जा रहा है। दूसरे चरण में 970 शहर में प्रेशर के साथ 24 घंटे पानी देने के लिए नई लाइनें बिछ रही हैं और टैंकों का निर्माण हो रहा है। करीब 229 करोड़ रुपये सीवरेज नेटवर्क पर खर्च हो रहे हैं।
शहर में 24 घंटे पानी देने के लिए सतलुज नदी का पानी शिमला पहुंचाया जा रहा है। अगले साल से शहर के कई इलाकों में लोगों को 24 घंटे पानी मिलना शुरू हो जाएगा। आजकल शकरोड़ी में टैंकों और पेयजल लाइनों की टेस्टिंग चल रही है। जनवरी से सतलुज का पानी शिमला पहुंचाने का दावा किया है। शिमला शहर में 36 हजार पेयजल उपभोक्ता हैं। इन्हें अब पानी का संकट नहीं झेलना पड़ेगा। लोगों को इस पेयजल योजना के शुरू होने का लंबे समय से इंतजार है।
पिछले तीन वर्षों में अलग-अलग किस्तों से विश्व बैंक ने कंपनी को 587 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस साल भी करीब 100 करोड़ रुपये मिलने हैं। इतना पैसा आने के बावजूद कंपनी को ऋण लेना पड़ रहा है, इस पर चर्चाएं शुरू हो गई है। बाकी करीब 300 करोड़ रुपया कहां अटका है, इस पर फिलहाल कंपनी के अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। पेयजल कंपनी के प्रबंध निदेशक वीरेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि अगले हफ्ते निदेशक मंडल की बैठक होनी है। इसमें विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा होगी।





