
हिमाचल प्रदेश के बैंकों में 10.77 लाख खाताधारक 352 करोड़ रुपये जमा करवाकर भूल गए। बीते दस वर्षों से अधिक समय से बिना किसी लेन-देन के ये खाते अब निष्क्रिय श्रेणी में डाल दिए गए हैं। बैंकिंग नियमों के अनुसार वर्षों तक कोई दावा या गतिविधि न होने पर जमा राशि को भारतीय रिजर्व बैंक के विशेष फंड में ट्रांसफर कर दिया गया है। एसबीआई में सर्वाधिक 119 करोड़, पीएनबी में 69 और यूको बैंक में 36 करोड़ मिले हैं।
आंकड़े दर्शाते हैं कि लोगों ने लंबे समय तक अपने खातों को अपडेट नहीं कराया, वहीं कई खाते ऐसी परिस्थितियों में निष्क्रिय हो गए जब खाताधारक स्थानांतरित हुए, बैंक बदल गए या पूरी तरह खाते को भूल बैठे। अब इस धनराशि को उनके हकदारों तक पहुंचाने के लिए राज्य स्तरीय बैंकर समिति ने प्रदेश में विशेष अभियान चलाया है। बैंकों की टीमें खाताधारकों के पते, पुराने दस्तावेज, मोबाइल नंबर, नजदीकी शाखाओं से जुड़े रिकॉर्ड और आधार सत्यापन के आधार पर खाताधारकों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
जिलावार विश्लेषण में कांगड़ा सबसे आगे है, जहां 2.25 लाख निष्क्रिय खातों में 74.77 करोड़ रुपये जमा मिले हैं। इसके बाद शिमला, मंडी और सोलन जैसे बड़े जिलों में भी बड़ी संख्या में निष्क्रिय खाते पाए गए हैं, जिनमें करोड़ों रुपये मिले हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के प्रभारी दीपक कुमार ने बताया कि अभियान का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और वह राशि वापस दिलाना है, जिस पर उनका हक है।
सरकार के 9,456 निष्क्रिय खातों में जमा 26.72 करोड़
रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल सरकार के विभिन्न विभागों के 9,456 खाते भी लंबे समय से निष्क्रिय पड़े हैं, जिनमें 26.72 करोड़ जमा पाए गए। इन खातों में कई योजनाओं, विभागीय खर्चों या कार्यालयी गतिविधियों के तहत खोले गए खाते शामिल हैं, जिन्हें समय के साथ अपडेट नहीं किया गया।
अक्तूबर में 1,026 खाताधारकों को लौटाया 7.95 करोड़
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के अभियान का असर भी दिख रहा है। अक्तूबर में 1,026 खाताधारकों की पहचान कर उन्हें उनके निष्क्रिय खातों से जुड़ी कुल 7.95 करोड़ रुपये की राशि लौटाई गई है। इस सफलता के बाद समिति ने नवंबर और दिसंबर में भी अभियान को तेज करने की रणनीति बनाई है।
यह सावधानी जरूरी :
खाता निष्क्रिय होने से ऐसे बचाएं
खाते में कम से कम एक बार लेनदेन जरूर करें
मोबाइल नंबर और आधार अपडेट रखें
पासबुक/नेट बैंकिंग से समय-समय पर खाता जांचें
बैंक अलर्ट और नोटिस अनदेखे न करें
जिला निष्क्रिय खाते जमा राशि करोड़ों में
जिला खातों की संख्या जमा राशि (करोड़)
बिलासपुर 46,784 14.02
चंबा 43,692 15.19
हमीरपुर 82,368 21.07
कांगड़ा 2,25,602 74.70
किन्नौर 13,355 5.33
कुल्लू 90,523 20.78
लाहौल-स्पीति 6,809 4.90
मंडी 1,38,176 39.59
शिमला 1,35,398 64.42
सिरमौर 59,753 19.83
सोलन 1,41,154 42.18
ऊना 93,814 30.43
कुल योग 10,77,428 352.52
निष्क्रिय खातों में की राशि उनके हकदारों तक पहुंचाना बैंकों का दायित्व : दीपक
राज्य में निष्क्रिय और अनक्लेम बैंक खातों में जमा करोड़ों रुपये उनके वास्तविक हकदारों तक पहुंचाने के लिए बैंकों को और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी। यह बात राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के प्रभारी दीपक कुमार ने शुक्रवार को शिमला में जागरूकता शिविर में कही। उन्होंने कहा कि बैंक तथा बीमा कंपनियां संयुक्त रूप से ऐसे खातों और पॉलिसियों को ट्रेस करने और ग्राहकों को जागरूक करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। दीपक कुमार ने बैंक और इंश्योरेंस सेक्टर के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे अनक्लेम डिपॉजिट्स की जानकारी प्राप्त कर इन्हें हकदारों तक पहुंचाने के लिए गांव-स्तर तक विशेष अभियान चलाएं। लंबे समय से निष्क्रिय पड़े खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट, पीएफ, बीमा दावों और अन्य वित्तीय साधनों के बारे में लोग अक्सर जानकारी के अभाव में अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से आरंभ किया गया आपकी पूंजी आपका अधिकार अभियान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को उनकी छूटी हुई पूंजी को वापस दिलाना है। इसके तहत बैंकों को ऑनलाइन पोर्टल, हेल्प डेस्क और गांव, वार्ड स्तर पर शिविरों के माध्यम से जागरूकता बढ़ानी होगी।
जागरूकता शिविर में लोगों को निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से उन्होंने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैंक शाखा में केवाईसी अपडेट करवानी चाहिए। आधार व मोबाइल नंबर लिंक करना चाहए। अनक्लेम डिपॉजिट पोर्टल पर परिवार के पुराने खातों की खोज करनी चाहिए। इस दौरान कई प्रतिभागियों ने अनक्लेम बैंक बैलेंस, बीमा दावों और मृतक के खातों से संबंधित प्रश्न भी पूछे, जिनका समाधान मौके पर विशेषज्ञों ने किया। दीपक कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में लोग विदेशों, सेना या अन्य राज्यों में नौकरी करते हैं, जिस कारण उनके खाते निष्क्रिय हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिविरों का विस्तार करना चाहिए, ताकि आमजन को अपने अधिकार की जानकारी आसानी से मिल सके। एसएलबीसी प्रभारी ने कहा कि अनक्लेम खातों की राशि वर्षों से आरबीआई के फंड में जमा होती है, लेकिन यह नागरिकों की ही पूंजी है। इसे सही हकदार तक पहुंचाना बैंकों का नैतिक और कानूनी दायित्व है।





