गोवा में गूंजा सिरमौरी लोक-संगीत का स्वर हाटी की नाटी, डग्याली और सिंहटू नृत्य ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में जीता दर्शकों का दिल

राजगढ़ सिरमौर : 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) के मंच पर इन दिनों सिरमौर की समृद्ध लोक-सांस्कृतिक धरोहर का अनूठा रंग बिखरा हुआ है। आसरा संस्था का सांस्कृतिक दल अपने पारंपरिक नृत्यों — हाटी की नाटी, डग्याली नाच और प्राचीन सिंहटू नृत्य — की मोहक प्रस्तुतियों से देश-विदेश से आए सैकड़ों दर्शकों का मन मोह रहा है।
आसरा संस्था के प्रभारी एवं वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डॉ. जोगेंद्र हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि सिरमौर की यह अनूठी सांस्कृतिक विरासत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहली बार इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शित हो रही है।
उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा सेंट्रल ब्यूरो ऑफ कम्युनिकेशन (सीबीसी), चंडीगढ़ के सौजन्य से आसरा सांस्कृतिक दल को IFFI-2025 में आमंत्रित किया गया, जो सिरमौर के लिए गर्व का विषय है।
मुख्यमंत्री ने किया महोत्सव का शुभारंभ
महोत्सव का भव्य शुभारंभ 20 नवंबर को गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत द्वारा पणजी में किया गया। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता व निर्देशक अनुपम खेर, मशहूर नेता एवं अभिनेता नंदमूरी बालकृष्णा, और अनेक दिग्गज हस्तियाँ मौजूद रहीं। यह अंतर्राष्ट्रीय आयोजन 20 से 28 नवंबर तक चलेगा।
सोलह राज्यों की संस्कृति एक मंच पर
सीबीसी केंद्र चंडीगढ़ की सहायक निदेशक गोपा विश्वास और उपनिदेशक बलजीत सिंह के निर्देशन में पणजी स्थित आइनॉक्स परिसर में प्रतिदिन भारत के 16 राज्यों की विविध लोक परंपराओं को मंचित किया जा रहा है।
हिमाचल के अलावा दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, असम, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, दीव-दमन, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल सहित अनेक राज्यों के कलाकार अपनी-अपनी लोक पहचान को आकर्षक रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
सिरमौर की धरोहर ने जीता दर्शकों का मन
हाटी ट्रांस-गिरी क्षेत्र की नाटी, डग्याली और सिंहटू नृत्य विधाओं ने गोवा में अलग ही पहचान बनाई है।
नाटी की लयात्मक गति, डग्याली की वीर रस से भरी अदाएं और सिंहटू नृत्य की पारंपरिक शान ने दर्शकों को बार-बार झूमने पर मजबूर कर दिया।
लोकगायक रामलाल ठाकुर, बिमला चौहान,
सुनील चौहान, तथा उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान युवा पुरस्कार से सम्मानित कलाकार गोपाल हाब्बी की मधुर सुरलहरियों ने सिरमौर के लोकगीतों को नई ऊँचाई दी।
गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक और डॉ. जोगेंद्र हाब्बी के मार्गदर्शन में तैयार इन प्रस्तुतियों में कलाकारों की वर्षों की साधना साफ झलकती है।
पर्यटकों में सिरमौरी संस्कृति का आकर्षण
हर दिन भारत और विदेशों से आए पर्यटक कलाकारों के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं और सिरमौरी नाटी तथा डग्याली की ताल पर झूमते नजर आ रहे हैं।
सैकड़ों दर्शक इन लोक नृत्यों की अनूठी लय, पारंपरिक पोशाकों और लोकधुनों की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं।
सिरमौर को नई पहचान दिला रहे कलाकार
सांस्कृतिक दल में जोगेंद्र, गोपाल, रामलाल, चमनलाल, अमीचंद, संदीप, बिमला, सरोज, अनुजा, आरती सहित अनेक प्रतिभाशाली कलाकार शामिल हैं, जो अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सिरमौर का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर नई पहचान दिला रहे हैं।
गोवा के अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में सिरमौरी संस्कृति की यह शानदार उपस्थिति न सिर्फ कलाकारों के लिए सम्मान है, बल्कि हिमाचल की लोक विरासत को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का महत्वपूर्ण कदम भी है।

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