हिमाचल: हाईकोर्ट का फैसला, पेंशन के लाभ के लिए गिना जाएगा अनुबंध सेवाकाल

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के कर्मचारियों की अनुबंध सेवाओं को पेंशन के लिए गिनने को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने स्पष्ट किया है कि नियमितीकरण से पहले की गई अनुबंध (कॉन्ट्रेक्ट) सेवा को अब पेंशन के लाभ के लिए क्वालीफाइंग सर्विस माना जाएगा। अदालत ने महाधिवक्ता अनूप रतन के बयान को रिकॉर्ड पर दर्ज करने के बाद निर्देश जारी किए हैं याचिकाकर्ताओं कि अनुबंध सेवा, जिसके बाद उनका नियमितीकरण हुआ है, उसे पेंशन के लिए क्वालीफाइंग को सर्विस माना जाएगा। याचिकाकर्ताओं को कानून के अनुसार दो महीने के भीतर नए विकल्प देने होंगे। सरकार को इस पूरी प्रक्रिया और इसके बाद की कार्यवाही को तीन महीने के भीतर पूरा करने के आदेश दिए गए हैं।

वित्तीय लाभों को याचिका दायर करने से तीन साल पहले तक सीमित रखा गया है, जबकि उससे पहले का लाभ केवल नोशनल (सांकेतिक) आधार पर मिलेगा। अदालत ने यह फैसला स्टेट ऑफ एचपी बनाम शीला देवी और राम चंद बनाम स्टेट ऑफ एचपी के कानूनी सिद्धांतों के आधार पर दिया है। राज्य सरकार ने राम चंद मामले में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सालाना वेतन वृद्धि पर तो फिलहाल रोक लगा दी है, लेकिन पेंशन के लिए अनुबंध सेवा को गिनने के निर्देश पर कोई रोक नहीं लगाई है। अदालत ने यह निर्णय रविंद्र सिंह राणा और इससे जुड़ी अन्य याचिकाओं में दिया है। ये कर्मचारी जल शक्ति विभाग और एचआरटीसी में सेवानिवृत्त हैं।

95 फीसदी ग्रांट इन एड वाले कॉलेजों के शिक्षक 20 लाख ग्रेच्युटी के हकदार
प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के 95 फीसदी सरकारी सहायता प्राप्त (ग्रांट इन एड) निजी कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक सरकारी कर्मचारियों के ही समान 2 हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने आदेश दिया है कि ये शिक्षक न केवल बढ़ी हुई ग्रेच्युटी (20 लाख रुपये तक) के हकदार हैं, बल्कि सरकारी शिक्षकों की तर्ज पर बढ़ी हुई अर्जित छुट्टी (अरंड लीव) के भी पात्र हैं। अदालत ने प्रतिवादी सरकार और निजी कॉलेज को दो महीने के भीतर सभी बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने जमीला खान बनाम हिमाचल प्रदेश और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विक्रम भालचंद्र मामले में दिए गए निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि भले ही ये शिक्षक तकनीकी रूप से सीधे सरकार के अधीन न हों, लेकिन उनके पद और सेवा शर्तें सरकारी पदों के समान हैं। चूंकि उनका 95 फीसदी वेतन सरकारी सहायता से आता है, इसलिए सेवानिवृत्ति के लाभों की जिम्मेदारी से सरकार पल्ला नहीं झाड़ सकती। अदालत ने माना कि 25 फरवरी 2022 के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है, जो 1 जनवरी 2016 से प्रभावी है। याचिकाकर्ता इस बढ़ी हुई राशि को पाने के हकदार हैं। अदालत ने सरकार के उस तर्क को खारिज कर दिया कि सहायता प्राप्त कॉलेजों पर सीसीएस अवकाश नियम लागू नहीं होते। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगस्त 2016 से इन शिक्षकों को भी प्रति वर्ष 10 के बजाय 20 दिन की अर्जित छुट्टी का लाभ दिया जाए। निर्देश दिया कि वित्तीय लाभों का 95 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार वहन करेगी और शेष 5 फीसदी हिस्सा कॉलेज प्रबंधन को देना होगा। अदालत ने देरी से किए गए भुगतान पर 10 फीसदी ब्याज देने का भी आदेश दिया है। बता दें कि हाईकोर्ट में इसे लेकर कॉलेज शिक्षकों की ओर से दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं।

छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी हितेश गांधी को प्रदेश हाईकोर्ट ने दी सशर्त जमानत
हाईकोर्ट ने करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के उपाध्यक्ष हितेश गांधी को नियमित सशर्त जमानत दे दी है। न्यायालय ने निर्णय में स्पष्ट किया कि लंबे समय तक जेल में रहने और निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की संभावना न होने के कारण आरोपी को और अधिक हिरासत में रखना उसके सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने पाया कि आवेदक दो साल और चार महीने से न्यायिक हिरासत में है। मामले में 71 गवाह हैं और दस्तावेजी सबूत 31 हजार से अधिक पन्नों के हैं, जिससे ट्रायल जल्द खत्म होने की उम्मीद नहीं है। अदालत ने आरोपी हितेश गांधी को 2 लाख के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा है कि आरोपी को अपना पासपोर्ट जमा रखना होगा, वह गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा और बिना अनुमति भारत नहीं छोड़ सकेगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जमानत का पुरजोर विरोध करते हुए तर्क दिया था कि यह एक गंभीर आर्थिक अपराध है, जिसमें गरीब एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के हक का 200 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। ईडी के अनुसार, हितेश गांधी ने फर्जी दस्तावेज और फर्जी छात्रों के जरिये छात्रवृत्ति की राशि हड़प ली थी।

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