
हिमाचली टोपी पर लगे इस यंत्र में एक ऐसे बटन की सुविधा दी गई है, जिसका इस्तेमाल किसी विपत्ति के समय सहायता के लिए कर सकते हैं।
जवाहर लाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज (जेएनजीईसी) सुंदरनगर के कंप्यूटर साइंस के प्रशिक्षुओं ने दृष्टिबाधितों के लिए स्मार्ट टोपी बनाई है। इसे पहनकर वह न केवल पढ़-लिख सकते हैं, बल्कि बिना किसी सहारे आसानी से चल-फिर सकते हैं। हिमाचली टोपी पर लगे इस यंत्र में एक ऐसे बटन की सुविधा दी गई है, जिसका इस्तेमाल किसी विपत्ति के समय सहायता के लिए कर सकते हैं। इस स्मार्ट टोपी में महाभारत के संजय का नाम भी जोड़ा गया है। इस आविष्कार को संजय स्मार्ट टोपी नाम दिया गया है। कॉलेज के कंप्यूटर साइंस की एचओडी डॉ. मीनाक्षी श्रुतिपाल के मार्गदर्शन में इसे तैयार किया है। कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष के छात्र अनमोल गर्ग, मनीष कुमार, रोहित शर्मा और संयम शर्मा ने इसे बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
इस टोपी में टैपरी पाई और लाइडर सेंसर के साथ तीन वीडियो कैमरों की सुविधा दी गई है। एक बटन के दबाते ही यंत्र में फीड किए गए नंबरों पर उसका संदेश उसकी लोकेशन के साथ चला जाएगा। इसमें ऑडियो और वीडियो संदेश की सुविधा भी दी गई है। करीब एक किलोग्राम भार की इस टोपी को पहनने के बाद दृष्टिबाधित लोगों को किसी सहारे की जरूरत नहीं रहेगी। वे आत्मविश्वास के साथ अकेले कहीं भी यात्रा कर सकते हैं। यह यंत्र हर प्रकार की छपी हुई सामग्री को पढ़कर सुनाने की क्षमता रखता है। इससे वे बिना किसी रुकावट के शिक्षा और साहित्य का अध्ययन कर सकते हैं। इस टोपी यंत्र में मौसम की जानकारी के साथ संगीत सुनने की सुविधा भी दी गई है। इस प्रोजेक्ट को पेटेंट करवाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवा दिया गया है। करीब 35 हजार रुपये से तैयार इस टोपी का बाजार में मूल्य 20 हजार रुपये रखा गया है।
कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों ने दृष्टिबाधितों की समस्याओं को देखते हुए इस यंत्र को तैयार किया है। इसका पेटेंट के लिए ऑनलाइन पंजीकरण किया गया है। इस प्रोजेक्ट को शीघ्र ही पेटेंट मिलने की उम्मीद है। – डॉ. मीनाक्षी श्रुतिपाल, एचओडी कंप्यूटर साइंस, जेएनजीईसी सुंदरनगर





