उपाध्याय के मुताबिक लोकतंत्र की मुख्यधारा सहिष्णु रही है

भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक अधिष्ठाता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर भाजपा मुख्यालय में प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, कोषाध्यक्ष कमलजीत सूद, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, प्रवक्ता बलबीर वर्मा, प्यार सिंह कंवर, जिला अध्यक्ष केशव चौहान, मंडल अध्यक राजीव पंडित द्वारा उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।


According to Upadhyay, the mainstream of democracy has been tolerantइस उपलक्ष्य पर प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल ने कहा कि आज एकात्म मानववाद के प्रणेतापं. दीनदयाल उपाध्याय का स्मृति दिवस है, उनकी मृत्यु 11 फरवरी, 1968 को हुई थी। जनसंघ के पितृ पुरुष प. दीनदयाल उपाध्याय एक राज नेता से ज्यादा एक महा मानव के रूप में लोगों के मन मस्तिष्क में समाए हुए थे। उनके विचारों का अध्ययन करें तो पाएंगे उन्हें सियासत से नहीं अपितु आम आदमी की जिंदगी संवारने की चिंता अधिक थी। उन्होंने इसे कभी छिपाया भी नहीं। वे एक संत स्वभाव और विचारों के राज नेता थे। एकात्म मानववाद के प्रणेता और सादगी की प्रतिमूर्ति उपाध्याय जी मानवता के उत्थान के लिए राजनीति में आए थे।

उनका लक्ष्य सांसद, विधायक बनना नहीं था। वे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सत्यनिष्ठा और शुचिता के साथ अंतिम व्यक्ति के सर्वांगीण उत्थान के लिए संकल्पित थे। दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था लोकतंत्र केवल बहुमत का राज नहीं। उपाध्याय के मुताबिक लोकतंत्र की मुख्यधारा सहिष्णु रही है। इसके बिना चुनाव, विधायिका आदि कुछ भी नहीं है। सहिष्णुता भारतीय संस्कृति का आधार है। उपाध्याय के विचार आज भी सामयिक है। उपाध्याय के असहिष्णुता के मुद्दे पर विचारों का उनके लेखन में कई जगह जिक्र देखने को मिलता है। उन्होंने कहा था, वैदिक सभा और समितियां लोकतंत्र के आधार पर आयोजित की जाती हैं और मध्यकालीन भारत के कई राज्य पूरी तरह से लोकतांत्रिक थे। उन्होंने कहा था, ‘आपने जो कहा मैं उसे नहीं मानता, लेकिन आपके विचारों के अधिकार की मैं आखिरी वक्त तक रक्षा करूंगा। भाजपा के लिए वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था। कुछ लोगो का मानना है पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को जयपुर जिले में धानक्यारेल्वे स्टेशन पर इनके नाना जी के घर पर हुआ था। इनके नाना श्री चुन्नीलाल जी शुक्ल धानक्यारेल्वे स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन मास्टर थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और संगठनकर्ता थे। भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना साल 1951 में हुई थी। अपने राजनीतिक जीवन में वे भारतीय जनसंघ पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। सनातन विचारधारा से संबंध रखने वाले दीन दयाल सशक्त भारत का सपना देखते थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत में लोकतंत्र के उन पुरोधाओं में से एक हैं, जिन्होंने इसके उदार और भारतीय स्वरूप को गढ़ा है। वर्ष 1937 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। जहां उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार से बातचीत की और संगठन के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा व्यक्त की।

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