
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के भल्लू में हादसे का शिकार हुई बस की इंश्योरेंस 5 अक्तूबर को ही खत्म हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि अब तक इसका रिन्यू नहीं कराया गया था। हादसे के समय बस संचालक और संबंधित लोग इंश्योरेंस रिन्यू कराने के लिए हाथ-पैर मारते नजर आए। आरटीओ बिलासपुर राजेश कौशल ने इस मामले पर कहा कि इस बात की पूरी जांच की जाएगी कि आखिर इंश्योरेंस रिन्यू क्यों नहीं कराई गई। उन्होंने यह भी कहा कि जांच में यह देखा जाएगा कि क्या इंश्योरेंस रिन्यू कराने के लिए कोई रिलेक्सेशन पीरियड उपलब्ध था या नहीं। आरटीओ कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना इंश्योरेंस वाली बस का संचालन कानूनन प्रतिबंधित है और अगर कोई अनियमितता हुई है तो कार्रवाई की जाएगी। हालांकि हादसे में जान गंवाने वाले और घायलों को सरकार की तरफ से जो राहत मिलनी है वो पूरी मिलेगी। हादसे के समय बस में यात्रियों की सुरक्षा और जिम्मेदारी से जुड़े सवाल अब गहरे हो गए हैं। जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई होगी।
बस मालिक था कंडक्टर, आधे चक्कर के लिए भेजा था दूसरे को कभी-कभार ही भेजता था दूसरा परिचालक
भल्लू में दुर्घटना हुई बस का मालिक स्वयं इसमें परिचालक का कार्य करता था। घुमारवीं से दूसरी बार मरोतन जाते हुए वह बरठीं में उतर गया और वहां से दूसरे परिचालक को बस के साथ भेजा। जब बस वापस बरठीं पहुंचनी थी, तो उसने फिर से बस में चढ़ना था। राजकुमार सामान्य दिनों में बस के साथ स्वयं ही परिचालक के रूप में रहता था और यात्रियों से किराया वसूलने से लेकर टिकट देने तक का सारा काम खुद करता था। कभी-कभार ही किसी अन्य परिचालक को भेजता। मंगलवार को भी ऐसा ही हुआ। राजकुमार बरठीं में किसी जरूरी काम के लिए उतरा और सोचा कि जब बस मरोतन से लौटेगी तो वह फिर बस में चढ़कर परिचालक का कार्य संभाल लेगा। बरठीं से भल्लू की दूरी महज चार किलोमीटर है। राजकुमार बस के लौटने का इंतजार कर रहा था, तभी अचानक उसे हादसे की सूचना मिली। सूचना मिलते ही वह मौके की ओर भागा। वहां पहुंचकर उसने देखा कि बस पूरी तरह मलबे में है और कई यात्रियों की जान जा चुकी है। मंगलवार को भी उसने सिर्फ कुछ देर के लिए बस छोड़ी थी। किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।





