Himachal: आईएसबीटी में पार्किंग की जगह बना दिया अस्पताल, विजिलेंस ने दर्ज किया केस, अनुबंध शर्तों का उल्लंघन

Himachal : इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) टुटीकंडी में नियम ताक पर रखकर पार्किंग की जगह निजी अस्पताल बनाने के मामले में विजिलेंस ने मामला दर्ज किया है। मिले तथ्यों के आधार पर विजिलेंस ने शिमला थाने में मेसर्स सीके इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और स्पर्श सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के प्रोपराइटर समेत अज्ञात लोगों और अधिकारियों के खिलाफ मामला पुराना होने के चलते आईपीसी की धारा 420 और धारा 120 बी के तहत कार्रवाई की है। मामले में विभिन्न विभागों के तत्कालीन अधिकारियों की संलिप्तता को लेकर भी विजिलेंस जांच कर रही है। मामले के अनुसार कानूनी आपत्तियों और अनिवार्य वैधानिक अनुमोदन प्राप्त किए बिना मार्च 2022 में आईएसबीटी परिसर के ब्लॉक-बी की तीसरी मंजिल पर पार्किंग के लिए चिह्नित स्थान को निजी अस्पताल में परिवर्तित करने की मंजूरी दी गई।

इस वजह से पार्किंग सुविधा के अभाव में आईएसबीटी टुटीकंडी का संचालन प्रभावित हुआ। इससे जनता को पार्किंग के अभाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ा, वहीं प्रदेश सरकार के खजाने को नुकसान भी पहुंचा है। वहीं, अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करके निजी कंपनी ने अनुचित व्यावसायिक लाभ भी प्राप्त किया। आरोप है कि आईएसबीटी टुटीकंडी शिमला के मेसर्स सीके इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने एकतरफा और अवैध रूप से तीसरी मंजिल (ब्लॉक-बी) के स्वीकृत उपयोग को बदलकर निजी अस्पताल में परिवर्तित किया। इसको लेकर प्रोपराइटर स्पर्श सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और मेसर्स सीके इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में समझौता हुआ था। ये बदलाव सक्षम अधिकारियों से अनिवार्य वैधानिक मंजूरी प्राप्त किए बिना किए गए। विजिलेंस आने वाले दिनों में कई तत्कालीन अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए तलब करेगी।

नोटिस के बावजूद चलता रहा अस्पताल
विजिलेंस के मुताबिक हिमाचल प्रदेश बस अड्डा प्राधिकरण (एचपीवीएसएम एंड डीए) के निदेशक मंडल ने 22 मार्च, 2022 को एक बैठक में वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने की शर्त पर प्रस्ताव को मंजूरी दी, लेकिन ऐसी मंजूरी कभी ली ही नहीं। नगर निगम शिमला ने वर्ष 2023 और 2024 में इसको लेकर बार-बार नोटिस भी जारी किए। 29 फरवरी, 2024 और 1 अप्रैल, 2024 के पत्रों के माध्यम से प्रधान सचिव टीसीपी की अस्वीकृति के बावजूद अस्पताल के रूप में परिसर का अनधिकृत उपयोग जारी रखा। प्रारंभिक जांच में एचपीबीएसएम एंड डीए, नगर निगम शिमला और अन्य संबंधित विभागों के तत्कालीन कुछ लोक सेवकों की संभावित मिलीभगत की आशंका भी जताई गई है।

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