Himachal: बिजली बोर्ड कर्मियों को ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन में भेजने पर लगी रोक, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विद्युत बोर्ड के अधिकारियों-कर्मचारियों को ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन में भेजने को लेकर जारी राज्य सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने यह रोक विवेक शर्मा व अन्य बनाम राज्य मामले में लगाई है। कोर्ट ने 2 मई और 13 जून 2025 की अधिसूचना का अवलोकन करने पर पाया कि याचिकाकर्ताओं की प्रार्थनाएं वास्तविक हैं और उनके पक्ष में प्रथम दृष्टया मामला बन रहा है।

कोर्ट ने सरकार, एचपीपीटीसीएल, बिजली बोर्ड और अन्य निजी प्रतिवादियों वरिष्ठ प्रबंधक को नोटिस जारी किए हैं। प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी। याचिका में बताया गया है कि सरकार ने बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीटीसीएल) की आपत्ति के बावजूद निगम पर थोप दिया है, जो कानून के खिलाफ है। यह फैसला याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ प्रतिवादी एचपीपीटीसीएल के प्रभावी कामकाज के लिए भी हानिकारक है।

बिना अनुबंध कर्मियों को मर्ज करना उचित नहीं
कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा के नेता हीरा लाल वर्मा ने कहा कि सरकार बिना किसी अनुबंध के एक से दूसरे विभाग के कर्मचारियों को मर्ज कर रही है वो उचित नहीं है। अगर समाहित या प्रतिनियुक्ति करनी है तो नीति के तहत किया जाए। बिजली बोर्ड के 43 हजार कर्मचारियों में से अब मात्र केवल 13 हजार रह चुके हैं। कम कर्मचारियों की वजह से उपभोक्ताओं पर असर पड़ रहा है।

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