
राज्य बिजली बोर्ड के ऑपरेशन विंग में अधिकारियों और कर्मचारियों को 65 साल तक सेवा विस्तार नहीं मिलेगा। वीरवार को हुई बोर्ड के निदेशक मंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी देने पर सहमति नहीं बनी। सरकार में ऐसी व्यवस्था न होने का हवाला देते हुए प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया। बैठक में लारजी प्रोजेक्ट का रखरखाव करने को संपत्तियां गिरवी रखकर ऋण लेने का फैसला लिया गया। केंद्र सरकार की उदय ऋण योजना को राज्य सरकार की इक्विटी में बदलने का भी निर्णय हुआ।
बिजली बोर्ड के अध्यक्ष प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में हुई निदेशक मंडल की बैठक में 19 एजेंडों पर चर्चा की गई। निदेशक मंडल की पूर्व की बैठक के फैसलों को मंजूरी दी गई। बैठक में मुख्य तौर पर ऑपरेशन विंग में 65 साल तक सेवा विस्तार देने के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान कई निदेशकों ने कहा कि बोर्ड में ऑपरेशन के साथ कई अन्य विंग भी हैं। इन विंग में भी अभी तक सेवा विस्तार देने की कोई व्यवस्था नहीं है। बैठक में प्रस्ताव लाया गया कि ऑपरेशन विंग में कर्मचारियों के कई पद रिक्त हैं। इन पदों पर अनुभवी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवा विस्तार दिया जाए। इस प्रस्ताव पर निदेशक मंडल के बीच सहमति नहीं बनी। ऐसे में प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया।
बैठक में 126 मेगावाट क्षमता की लारजी बिजली परियोजना की संपत्तियों को गिरवी रखकर पावर फाइनेंस काॅरपोरेशन से ऋण लेने का फैसला लिया गया। ऋण से बिजली परियोजना के रख रखाव का निर्णय लिया गया। बैठक में बोर्ड के प्रबंध निदेशक आदित्य नेगी सहित कई अधिकारी और निदेशक मौजूद रहे।





