Himachal: पौधों के जीवित रहने की दर के अनुसार मिलेगी प्रोत्साहन राशि, 100 करोड़ का प्रावधान

हरित भविष्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने 100 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ समुदायिक-सहभागिता आधारित राजीव गांधी वन संवर्धन योजना शुरू की है। इसका लक्ष्य हरित आवरण बढ़ाना, रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। इस योजना में पौधों के जीवित रहने की दर के अनुसार प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि यह योजना वर्ष 2027 तक हरित और स्वच्छ हिमाचल के निर्माण में सहायक साबित होगी। प्रदेश के महिला मंडल, युवक मंडल, स्वयं सहायता समूह और अन्य पंजीकृत समुदाय-आधारित समूह इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।

ये समूह वन क्षेत्रों की बंजर भूमि में पौधरोपण और रख-रखाव, दोनों गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वन आवरण बढ़ाने के लिए इस योजना से राज्य के हजारों ग्रामीणों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि योजना के तहत पारिस्थितीकीय आवश्यकता व पहुंच के आधार पर प्रत्येक समुदाय आधारित संगठन को पांच हेक्टेयर तक खाली अथवा बंजर वन भूमि आवंटित की जाएगी। वन विभाग अपनी नर्सरियों से गुणवत्तायुक्त पौधों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा और सफल पौधरोपण सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और मूल्यांकन सुनिश्चित करेगा। इस योजना की सफलता के लिए प्रत्येक समुदाय आधारित संगठन को प्रति हेक्टेयर 1.20 लाख रुपये या भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात में धनराशि प्रदान की जाएगी।

एक हेक्टेयर से छोटे क्षेत्रों के लिए धनराशि आनुपातिक आधार पर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, रोपे गए पौधों की सत्यापित जीवित प्रतिशतता दर के आधार पर 1.20 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। पौधों की जियो-टैगिंग और वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक समर्पित पोर्टल का उपयोग किया जाएगा और सभी भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से समुदाय आधारित संगठनों के बैंक खातों में किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। इस योजना का उद्देश्य न केवल कार्बन पृथक्करण, जल संरक्षण और मृदा स्थिरीकरण में सुधार के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है अपितु आजीविका के अवसर पैदा कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना है। इससे वन बहाली में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से स्थानीय समुदाय सशक्त होंगे, स्थानीय प्रजातियों के पौधरोपण से जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा।

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