HP Assembly Session: सीएम सुक्खू बोले- परिवारों को नहीं होने देंगे बेघर, हक की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ेंगे

हिमाचल प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार के समय साल 2002-03 में लाई गई नीति को लेकर बुधवार को तपोवन विधानसभा में माहौल गरमाया रहा। 1.24 लाख अवैध कब्जाधारकों के मामले पर कांग्रेस और भाजपा ने एक-दूसरे पर खूब आरोप लगाए। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि भाजपा की सरकार ने 1.24 लाख लोगों को अवैध कब्जाधारक बना दिया है। अब कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट में इनके हक की लड़ाई लड़ेगी। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि किसी को दोष देने की जरूरत नहीं है। उस दौरान सरकार की मंशा खराब नहीं थी। अब लोगों को भगवान भरोसे न छोड़ें। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भाजपा पर लोगों को बेघर करने की नौबत लाने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार का हस्तक्षेप कराने को कहा। प्रश्नकाल के दौरान विधायक जीतराम कटवाल ने यह मामला उठाया। उन्होंने सरकार की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने या न जाने को लेकर जानकारी मांगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन लोगों को बेघर नहीं होने दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में नामी वकीलों को खड़ा किया जाएगा। कब्जाधारक परिवारों को प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले से राहत दिलाने के लिए पूरी मजबूती से केस लड़ा जाएगा। विधायक के मूल सवाल का जवाब देते राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा सरकार ने 2002-03 में एक ऐसी नीति लाई, जिसमें अवैध कब्जाधारियों के कब्जे नियमित करने की बात कही गई। इस नीति के तहत प्रदेश में 1.60 लाख से अधिक लोगों ने रातोंरात आवेदन कर दिए और ये तमाम अवैध कब्जे सामने आए हैं। हिमाचल में तमाम गैर राजस्व जमीन वन भूमि है। जब तक केंद्र सरकार एफसीए में संशोधन नहीं कर देती, तब तक सरकार एक बिस्वा जमीन भी किसी को आवंटित नहीं कर सकती। पूर्व भाजपा सरकार इस मामले में सोई रही। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि किसी को दोष देने की जरूरत नहीं है। उस दाैरान सरकार की मंशा खराब नहीं थी। नीति बनाने का मकसद दशकों से सरकारी जमीन पर घर बनाकर रह रहे लोगों को उनकी जमीन का कब्जा दिलाना था।

इसी कारण आज लाखों लोगों के बेघर होने की नौबत आ गई है। पूर्व सरकार की ओर से बनाए गए कानून 163ए को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। पलटवार करते हुए नेता विपक्ष ने कहा कि नीति को लाने का मकसद दशकों से सरकारी जमीन पर घर बना कर रह रहे लोगों को उनकी जमीन का कब्जा दिलाना था। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने मामले को सही ढंग से अदालत के समक्ष नहीं रखा। इस कारण लोगों के बेघर होने की नौबत आ गई है। राजस्व मंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट के पांच अगस्त 2025 के फैसले से प्रदेश में 1,24,780 परिवार प्रभावित हो रहे हैं। फैसले को सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है। विशेष अनुमति याचिका दायर किए जाने की प्रक्रिया प्रगति पर है। वर्तमान में इन लोगों के पुनर्वास एवं राहत के लिए कोई नीति नहीं बनाई जा सकती। अभी यह विषय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।

राजस्व मंत्री के जवाब पर उखड़ा विपक्ष, सदन से वाकआउट
हिमाचल प्रदेश विधानसभा सत्र के छठे दिन राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के जवाब पर विपक्ष भड़क उठा और नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। इसके चलते शाम 7 बजे तक चलने वाली कार्यवाही डेढ़ घंटे पहले ही समाप्त करनी पड़ी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष की ओर से इस्तेमाल किए गए शब्दों की निंदा की और सभापति से आवश्यक कार्रवाई की मांग की। सभापति ने कहा कि यदि सतापक्ष भर्त्सना प्रस्ताव लाता है तो उस पर विचार किया जाएगा। साथ ही सदन में उपयोग किए गए आपत्तिजनक शब्दों को कार्यवाही से हटाने की भी घोषणा की। दोपहर बाद नियम 130 के तहत प्राकृतिक आपदा पर लाई गई चर्चा का जवाब देते हुए राजस्व मंत्री नेगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने सदन में 40 मिनट तक केवल अपने क्षेत्र सराज की ही बात की, जबकि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में हुई तबाही का उल्लेख नहीं किया। नेगी ने आरोप लगाया कि जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री कार्यकाल में सराज में सड़कों के निर्माण के लिए 400 करोड़ खर्च किए गए। बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई, कटे पेड़ मिट्टी के नीचे दफना दिए गए और मलबा नदी-नालों के किनारे फेंका गया। लगभग 16 हेलीपैड बनाए गए। निर्माण के लिए एफआरए की अनुमति तक नहीं ली गई और न ही वैज्ञानिक तकनीक का पालन किया गया, इसके कारण भारी बरसात में क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ। नेगी के आरोपों पर नेता प्रतिपक्ष ने कड़ा विरोध जताया और इसे भ्रामक बताते हुए आपत्ति दर्ज करवाई। इसके बाद विपक्ष के सभी विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए। वॉकआउट के बाद सभापति ने कार्यवाही वीरवार तक के लिए स्थगित कर दी।

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