HP High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा- कनिष्ठ कर्मचारी का उसके वरिष्ठ से अधिक नहीं हो सकता वेतन

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वेतन निर्धारण में विसंगति के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी कनिष्ठ कर्मचारी का वेतन उसके तत्काल वरिष्ठ से अधिक नहीं हो सकता, लेकिन यदि यह गलती प्रशासनिक त्रुटि के कारण हुई है तो अधिक भुगतान की रिकवरी नहीं की जाएगी। बशर्ते, यह गलती कर्मचारी की तरफ से न हुई हो।

न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता को गलत विकल्प चुनने के कारण अधिक वेतन मिल रहा था, जो 10 फरवरी 2022 के निर्देशों के पैरा 4(2)(ए) के विरुद्ध था। इस प्रावधान के तहत कनिष्ठ कर्मचारी का वेतन किसी भी स्थिति में उसके वरिष्ठ से अधिक नहीं हो सकता। अदालत ने राज्य सरकार के 16 फरवरी 2024 के आदेश को उचित ठहराते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का वेतन उसके तत्काल वरिष्ठ के बराबर किया जाना सही कदम था।
मामले में पाया गया कि याचिकाकर्ता को अधिक भुगतान उसकी गलती से नहीं, बल्कि अधिकारियों की ओर से वेतन निर्धारण में की गई त्रुटि के कारण हुआ। इसलिए उससे रिकवरी का आदेश न्यायसंगत नहीं माना जा सकता। दरअसल, याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों ही क्लर्क के रूप में नियुक्त हुए थे, जिनमें प्रतिवादी वरिष्ठ थे। दोनों को 2022 के संशोधित वेतन नियमों के तहत 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि का लाभ मिला था।

याचिकाकर्ता ने यह विकल्प 20 अक्तूबर 2021 से लागू किया, जिससे उसका वेतन 37,700 रुपये हो गया, जबकि वरिष्ठ कर्मचारी का वेतन 33,300 रुपये तय हुआ। वरिष्ठ ने शिकायत की तो विभाग ने जांच के बाद विसंगति दूर करते हुए वेतन समान किया और अधिक भुगतान की वसूली के आदेश जारी किए। हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि अधिक भुगतान प्रशासनिक भूल के कारण हुआ था, इसलिए वसूली नहीं की जाएगी, परंतु भविष्य में वेतन समानता सुनिश्चित की जाए।

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