Shimla: महासू देवता मंदिर में पांच साल बाद मनेगी बूढ़ी दिवाली, प्रदेश हाईकोर्ट ने हटाई रोक

हिमाचल हाईकोर्ट ने जिला शिमला की पंचायत गौंखार, धार चांदना और बावट के बीच स्थित महासू देवता मंदिर में बूढ़ी दिवाली मनाने पर पांच साल पहले लगी रोक को हटा दिया है। समारोह को लेकर चल रहे विवाद को निपटाते हुए शुक्रवार को अदालत ने 20 अक्तूबर से शुरू होने वाले तीन दिवसीय बूढ़ी दिवाली उत्सव में शांति और सौहार्द सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने एसडीएम चौपाल की ओर से 5 नवंबर 2020 को लगाए गए प्रतिबंध के आदेश को हटाने का फैसला सुनाया। तीन पंचायतों के बीच समारोह को लेकर चल रहे विवाद का कोर्ट ने निपटारा कर दिया है। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद अब उपमंडलीय प्रशासन धार चांदना और बावट ग्राम पंचायतों के निवासियों को गांखार स्थित महासू देवता मंदिर के प्रांगण में दिवाली मनाने से नहीं रोकेगा।

इसके साथ ही कोर्ट ने उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक शिमला को निर्देश दिए हैं कि वह 20 अक्तूबर से शुरू होने वाले तीन दिवसीय दिवाली उत्सव के दौरान गांखार गांव के महासू मंदिर में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करें ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। पुलिस को विशेष रूप से नशे के प्रभाव में पाए जाने वाले किसी भी उपद्रवी के खिलाफ कार्रवाई करने की स्वतंत्रता होगी। हालांकि, उत्सव के दौरान उन्हें नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। कोर्ट ने बड़े जुलूस पर प्रतिबंध लगाया है। लोग किसी प्रकार के हथियार अपने साथ नहीं ले जा सकेंगे। किसी भी अपमानजनक या अपशब्द का प्रयोग नहीं करेंगे। प्रत्येक परिवार की ओर से केवल एक मशाल (टॉर्च) लाई जाएगी, जिसे मंदिर परिसर प्रांगण के बाहर रखा जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

यह की टिप्पणी
उच्च न्यायालय ने महासू देव मंदिर जो ग्राम पंचायत ग्राम गौंखार जिला शिमला में स्थित है में दिवाली समारोह को लेकर ग्राम पंचायतों गौंखार, धार चांदना, और बावट के निवासियों के बीच चल रहे विवाद पर शुक्रवार को यह फैसला सुनाया है। फैसले में कहा कि पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और धार्मिक प्रथाओं की अनुमति देने के बीच संतुलन स्थापित किया जाए। न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि प्रतिबंध समस्या का हल नहीं है, बल्कि कानून और व्यवस्था के सख्त अनुपालन को सुनिश्चित करके और आपसी समन्वय बनाकर ही विवाद को हल किया जा सकता है। सदियों से चली आ रही बूढ़ी दिवाली की परंपरा को कुछ साल पहले बंद कर दिया गया और अब धार चांदना और बावट के निवासी दिवाली के दिन नई दिवाली समारोह महासू देवता मंदिर में करने लगे हैं।

न्यायालय के निर्देश को तुरंत करना होगा लागू
शिमला। शराब या किसी अन्य नशीले पदार्थ के प्रभाव में किसी भी व्यक्ति को मंदिर परिसर या प्रांगण में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। इसका उल्लंघन करने पर दंडात्मक और अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। मंदिर परिसर में बड़ी भीड़ से बचा जाएगा। धार चांदना और बावट ग्राम पंचायतों के निवासी यह सुनिश्चित करेंगे कि धार्मिक नृत्य और गीत प्रस्तुत करते समय गौंखार गांव के निवासियों को कोई असुविधा या बाधा उत्पन्न न हो। धार चांदना और बावट ग्राम पंचायतों के प्रधान यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके पंचायतों के निवासियों द्वारा कोई उपद्रव न किया जाए और न्यायालय के आदेशों का सख्त अनुपालन हो। आदेशों का पालन न होने पर दंडात्मक और अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये निर्देश विशेष रूप से नई दिवाली समारोह के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के उद्देश्य से जारी किए हैं। दिवाली उत्सव समाप्त होने के बाद, गौंखार, धार चांदना और बावट के निर्वाचित प्रतिनिधि विवाद के स्थायी समाधान के लिए एक साथ बैठ सकते हैं। न्यायालय के इन निर्देशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजन काहोल को निर्देश दिया गया है कि वे आदेश की एक प्रमाणित प्रति उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक, शिमला को उसी दिन तुरंत पहुंचाना सुनिश्चित करें। गौरतलब है कि इस मंदिर को लेकर लोगों में अथाह श्रद्धा है। हजारों लोग यहां बूढ़ी दिवाली उत्सव में मनाने के लिए आते थे। अब अदालत से उत्सव मनाने पर लगी रोक हटने से लोगों में उत्साह है। इस बार उत्सव में भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है।

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