Solan : जिला फेडरेशन चुनाव में सियासी समीकरण बदले -कसौली में सैजल की रणनीति ने बाजी मोड़ी -सोलन में भाजपा ने भाजपा को हराया

सोलन
जिला सहकारी विपणन एवं उपभोक्ता संघ चुनाव में इस बार सियासी समीकरण तेजी से बदले। कसौली क्षेत्र में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल की रणनीति पूरी तरह सफल रही। जबकि सोलन भाजपा अपने ही घर की खींचतान नहीं सुलझा पाई। तीनों मंडल सोलन शहरी, सोलन ग्रामीण और कंडाघाट में जारी खींचतान और आपसी अविश्वास फिर खुलकर सामने आ गया। यह भी सवाल उठने लगा कि आखिर पार्टी इस अंतर्कलह को हराने में कौन सी रणनीति अपनाएगी और क्या भविष्य में इस पर कोई गंभीर कदम उठेगा।
कसौली में तस्वीर बिल्कुल उलट रही। यहां डॉ. सैजल ने विवाद और दबाव दोनों को संभालते हुए डैमेज कंट्रोल कर लिया। उनके करीबी सुंदरम ठाकुर पहले ही निर्विरोध चुन लिए गए। सोलन जोन-2 का काफ़ी एरिया सुबाथु कसौली क्षेत्र आता है। यहां भी उम्मीदवार को सैजल का सीधा समर्थन माना गया। जबकि यहां कुछ ताकतें कसौली क्षेत्र से संबंधित उम्मीदवार के अगेनस्ट थी, लेकिन सैजल के मास्टर स्ट्रोक ने उनके मनसूबों पर पानी फेर दिया। फेडरेशन में कुछ दिन पहले भड़का विवाद थाना और अदालत तक पहुंच गया था। लेकिन सैजल ने माहौल संभाला और पूरा प्लान सफल कर लिया। सोलन में उस के उलट हालात बिगड़ते चले गए। मतभेद इतने गहरे है की मुकाबला भाजपा बनाम भाजपा बन गया। दो जोन में पार्टी के अपने ही उम्मीदवार एक-दूसरे को हराते रहे और अंत में नुकसान भी पार्टी संगठन को ही हुआ। यह पहली बार नहीं है जब सोलन भाजपा पर अंतर्कलह हावी हुई है। तीनों मंडलों में ऐसा समन्वय दिखा जिसने गुटबाज़ी की तस्वीर और साफ कर दी। कई कार्यकर्ता अब यह भी कह रहे हैं कि चुनाव सिर्फ औपचारिक होकर रह गए है। बस प्रत्याशी उतारो, प्रक्रिया पूरी करो और फिर परिणाम को गुटों के हिसाब से समझो।
अध्यक्ष पद को लेकर लॉबिंग तेज…
कुल नौ जोनों में कांग्रेस सिर्फ दो पर जीत दर्ज कर पाई। जबकि सात पर भाजपा का कब्जा रहा। इससे फेडरेशन पर भाजपा की पकड़ बरकरार मानी जा रही है। इसी बीच, अध्यक्ष पद को लेकर लॉबिंग तेज हो गई है। सबसे मजबूत दावेदार अभी सुंदरम ठाकुर माने जा रहे हैं। संगठन में अनुभव और पांच जोनों में पकड़ के अलावा सैजल का खुला समर्थन उन्हें बाकी नामों से आगे खड़ा कर देता है। उधर, सरकार की ओर से नॉमिनेट होने वाले सदस्यों पर अभी निर्णय टल सकता है। ऐसे में अध्यक्ष चुनाव एक से डेढ़ माह लटकना तय माना जा रहा है। कुल मिलाकर फेडरेशन चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि कसौली में रणनीति और नियंत्रण काम कर गया। लेकिन सोलन में खींचतान ने राजनीतिक तस्वीर उलझा दी है।
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सोलन के दो जोन में भाजपा ने भाजपा को हराया
-कंडाघाट में कांग्रेस ने एक वोट से बाज़ी पलटी
सोलन
जिला सहकारी विपणन एवं उपभोक्ता संघ के तीन जोनों में मंगलवार को हुए चुनाव में भाजपा ने सोलन के दोनों जोन जीत लिए, जबकि कंडाघाट में कांग्रेस ने कड़े मुकाबले में एक वोट से जीत हासिल कर ली। सोलन जोन-1 में यादविंदर सिंह ने कांति स्वरूप को 10–8 से हराया। एक वोट रिजेक्ट हुआ। यहां कुल 19 वोट थे। सोलन-2 में दयाराम ने धर्मेंद्र ठाकुर को 8–5 से मात दी। इस जोन में 13 वोटर थे। सबसे रोमांचक मुकाबला कंडाघाट में हुआ। यहां कपिल शर्मा ने अशोक ठाकुर को 11–10 से हराया। एक वोट के अंतर ने पूरे चुनाव का रुख बदल दिया। रिटर्निंग ऑफिसर नरेश चंद ने बताया कि वोटिंग सुबह से शांतिपूर्वक चली और तीन बजे मतदान समाप्त होने के बाद काउंटिंग शुरू हुई। तीन जोनों में चुनाव के अलावा छह जोनों के निदेशक पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके थे।
अनपोज आए छह निदेशक
धर्मपुर से सुंदरम ठाकुर, नालागढ़-1 से रणजीत सिंह, नालागढ़-2 से मदनलाल, नालागढ़-3 से कर्म सिंह, कंडाघाट-2 से विजय ठाकुर और कुनिहार से सुरेंद्र ठाकुर पहले ही निर्विरोध सामने आ चुके हैं। अब सरकार दो निदेशक नामित करेगी जबकि एक निदेशक बैंक से होगा।

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