
टीबी मुक्त हिमाचल बनाने के लिए चलाया जा रहा विशेष अभियान 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रहा है, इससे पहले बाकी बचे 60 दिनों के लिए स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को टारगेट दिया है। मंगलवार को होटल हॉलीडे होम में टीबी मुक्त पंचायत राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए सुधा ने कहा कि सीएमओ यह सुनिश्चित करें की टीबी की स्क्रीनिंग के लिए गठित टीमें हर दिन दो पंचायतों का दौरा कर कैंप लगाएं, ताकि अधिक से अधिक लोगों की जांच की जा सके। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों को निर्देश दिए जाएं कि ओपीडी में आने वाले लोगों में यदि लक्षण दिखें तो उनकी टीबी जांच करवाएं, इसे लेकर साप्ताहिक फीडबैक भी लिया जाए।
सुधा देवी ने कहा कि हिमाचल को टीबी मुक्त बनाने के लिए टीकाकरण की बूस्टर डोज बेहद जरूरी है। कोविड वैक्सीन को लेकर लोगों में भ्रम पैदा हो गया था, इसलिए टीबी से बचाव की बूस्टर डोज को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि जब हिमाचल एचआईवी और पोलियो से जीत सकता है तो टीबी से जीतना भी असंभव नहीं है। निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डाॅ. गोपाल बेरी ने अपने संबोधन में कहा कि अभी भी टीबी को सामाजिक कलंक की दृष्टि से देखा जा रहा है इसलिए जरूरी है कि इसे लेकर पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाए। कार्यशाला में मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रदीप कुमार ठाकुर, अतिरिक्त निदेशक पंचायती राज नीलम दौलटा, उप निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. राजेश गुलेरी और वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर संस्था के परियोजना निदेशक चंद्रशेखर जोशी भी उपस्थित रहे।
टीबी मृत्यु दर में सबसे अधिक कमी के लिए सोलन पुरस्कृत
कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी ने टीबी मृत्यु दर में सबसे अधिक कमी के लिए सोलन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ टीबी स्कोर के लिए मंडी, सबसे अधिक एक्स-रे स्क्रीनिंग के लिए ऊना, सर्वश्रेष्ठ जागरूकता गतिविधियों के लिए कांगड़ा सम्मानित किया गया। इसके अलावा कांगड़ा को लगातार दो वर्षों तक सबसे अधिक पंचायतों को टीबी मुक्त बनाए रखने के लिए सिल्वर पुरस्कार प्राप्त पंचायतों की श्रेणी में प्रथम स्थान और जिला शिमला को द्वितीय स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया।





