

बिलासपुर जिले की पंचायत कौंडावाला बेहल के जनसूचना अधिकारी पंचायत सचिव गौरव कुमार पर 20,000 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है जिस फाइल में सूचना थी, उसे पंचायत की अलमारी में रखा गया था। ग्राम पंचायत के सचिव ने इससे सूचना खोजने का दस महीने तक प्रयास नहीं किया। जब मामला सूचना आयोग पहुंचा तो वहां से नोटिस दिया गया, तभी यह सूचना उपलब्ध करवाई गई। इसका राज्य सूचना आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया। इस पर बिलासपुर जिले की पंचायत कौंडावाला बेहल के जनसूचना अधिकारी पंचायत सचिव गौरव कुमार पर 20,000 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई पूरी जानकारी प्रदान करने में लगभग 10 महीने की देरी पर की गई है। यह फैसला राज्य मुख्य सूचना आयुक्त आरडी धीमान ने सुनाया है।
मामला रणजीत सिंह की ओर से 5 फरवरी 2024 को दायर आरटीआई आवेदन संबंधित है। इसमें दो बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई थी। 27 मई 2024 को कुछ जानकारी दे दी गई। अपीलकर्ता असंतुष्ट रहा तो उसने पहली अपील दायर की। प्रथम अपीलीय प्राधिकरण ने बाद में 19 जून 2024 को प्रतिवादी को दो दिनों के भीतर शेष उपलब्ध जानकारी देने के निर्देश दिए। हालांकि, प्रतिवादी ने बताया कि बाकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसके बाद रणजीत सिंह ने राज्य सूचना आयोग में दूसरी अपील दायर की।



