ग्रेच्युटी की अदायगी न करने पर प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन के वेतन पर रोक

#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*

28 दिसंबर 2022

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी न देने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि ग्रेच्युटी की अदायगी न करने पर  प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन के वेतन पर रोक रहेगी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि बिना अदालत की अनुमति से  प्रधान मुख्य अरण्यपाल के वेतन की अदायगी नहीं की जाएगी।

याचिकाकर्ता तुला राम को वर्ष 1990 में करसोग वन खंड में दैनिक वेतनभोगी के पद पर तैनात किया था। विभाग ने वर्ष 2007 में उसकी सेवाओं को नियमित किया और 2010 में वह सेवानिवृत्त हो गया। 2018 में याचिकाकर्ता ने ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत याचिका दायर की। 29 सितंबर 2019 को सक्षम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को 1,18,977 रुपये की ग्रेच्युटी के लिए हकदार ठहराया।

इस निर्णय को वन विभाग ने किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी। ग्रेच्युटी की अदायगी न किए जाने पर याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को तीन वर्ष पहले ग्रेच्युटी का हकदार ठहराया गया था। इतना ही नहीं उसे रिकवरी प्रमाण पत्र भी जारी किया गया। याचिकाकर्ता 73 वर्ष पार कर चुका है और वन विभाग उसे ग्रेच्युटी की अदायगी करने में आनाकानी कर रहा है। 6 दिसंबर को हाईकोर्ट ने वन विभाग को आदेश दिए थे कि 15 दिन के भीतर याचिकाकर्ता की  ग्रेच्युटी की अदायगी की जाए। अदालत ने 27 दिसंबर के लिए अपने आदेशों की अनुपालना तलब की थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि ग्रेच्युटी के 1,18,977 रुपये की एवज में उसे केवल 1,04,439 रुपये ही अदा किए गए। ग्रेच्युटी के पूरे पैसे अदा न करने पर अदालत ने यह आदेश पारित किए।

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