
#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*
1 जुलाई 2023
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सड़क बनाने और मुआवजे से जुड़े मामले में अहम व्यवस्था दी है। अदालत ने कहा कि पहाड़ी इलाकों के निवासियों के लिए सड़क की पहुंच ही जीवन तक पहुंच है। इन इलाकों में संचार के लिए सड़क उपलब्ध कराना सरकार का सांविधानिक दायित्व है। अदालत ने सड़क बनाने के लिए भूमि के अधिग्रहण पर सरकार की ओर से मुआवजा न देना असांविधानिक ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया।
अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि हालांकि संपत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार है फिर भी अनुच्छेद 300ए के तहत यह एक सांविधानिक अधिकार है। इस दृष्टिकोण से अनुच्छेद 300ए के तहत किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। यद्यपि राज्य के पास जनता की भलाई के लिए भूमि के मालिक की संपत्ति को लेने की शक्ति है, लेकिन सरकार इसकी क्षति की भरपाई करने के लिए बाध्य है। अदालत ने कहा कि हालांकि जिस व्यक्ति को संपत्ति से वंचित किया है उसे मुआवजा देने का अधिकार स्पष्ट रूप से प्रदान नहीं किया गया है।
यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 300ए में अंतर्निहित है। राज्य यदि सार्वजनिक प्रयोजन के लिए निजी संपत्ति का अधिग्रहण करना चाहता है तो वह यह नहीं कह सकते कि कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। अदालत ने 28 वर्ष पहले सड़क बनाने के लिए अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता बलवंत सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने यह निर्णय सुनाया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि 28 जुलाई 1995 को रोहड़ू-परसाशेखल सड़क निर्माण के लिए उसकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन उसे मुआवजा नहीं दिया गया।
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