भगवान शिव के चरणों में विराजमान है भरमौर चौरासी, योनियों के चक्कर काटने से मिलती है मुक्ति

#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*

9 सितंबर 2023

manimahesh yatra 2023 and Belief Behind Chaurasi Temple Bharmour

मुक्ति धाम के नाम से विख्यात शिव नगरी भरमौर जिसे भगवान शंकर की चरणस्थली भी कहा जाता है। ऐसी जनश्रुति है कि भगवान शंकर के त्रिशूल पर काशी को विराजमान माना जाता है तो चरणस्थली चौरासी मानी जाती है। काशी में मात्र विश्वनाथ भगवान के दर्शन करने सभी पापों का अंत हो जाता है तो चौरासी के दर्शन करने से 84,000 योनियों के चक्कर से छुटकारा मिलता है।

मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चौरासी सबसे बड़ा पड़ाव है। यहां पर एक रात को हर श्रद्धालु रुकना चाहता है। चौरासी परिसर पर चौरासी मंदिरों का समूह है। इसमें कुछ छोटे चिन्ह के रूप में तो कुछ बड़े मंदिर है। इनमें मणिमहेश, नरसिंह भगवान, लखनामाता, गणेश, कार्तिक, शीतला माता और धर्मराज समेत सूर्यलिंग, ज्योर्तिलिंग और त्रामेश्वर महादेश सहित अन्य कई मंदिर है, जिनके दर्शन मात्रा से जीवन धन्य हो जाता है।

manimahesh yatra 2023 and Belief Behind Chaurasi Temple Bharmour
मृत्यु के उपरांत आत्मा को अपना लेखा-जोखा देने के लिए चौरासी स्थित धर्म राज मंदिर के प्रांगण में हाजिरी भरनी पड़ती है। मंदिर के पुजारी पंडित लक्ष्मण दत्त शर्मा बताते हैं कि अच्छे कर्म किए तो अच्छा फल, बुरे कर्म हों तो उन्हें 84,000 योनियों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

साधारण भाषा में कहे तो इंसान को मृत्यु के बाद अपने कर्मों का हिसाब-किताब यहां आकर देना पड़ता है। मणिमहेश मंदिर के पुजारी पंडित हरिशरण शर्मा बताते हैं कि कैलाश की तरफ जाने वाले साधु तेजस्वी जो इस धाम के महत्व को समझते हैं चौरासी में रुकने के बाद ही मणिमहेश जाते हैं।

#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*

Share the news