
#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*
7 अप्रैल 2023
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार राज्य में भांग की खेती को वैध बनाने की दिशा में विचार कर रही है। यह औषधीय और औद्योगिक क्षेत्र के लिए कारगार भी साबित होगी। भांग में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके औषणीय गुणों के इस्तेमाल से कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अवसाद आदि से ग्रसित मरीजों को काफी राहत मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भांग की खेती राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन इसका इस्तेमाल नशे के तौर पर न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने भांग की खेती का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसमें पांच विधायकों को सदस्य बनाया गया है। समिति उन इलाकों का दौरा करेगी, जहां भांग की अवैध खेती होती है। समिति सभी पहलुओं का गहनता से अध्ययन करने के उपरांत एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपेंगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर भांग की खेती को वैध करने के बारे में सरकार अंतिम निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता दी गई हैं। देश के कई राज्यों में भांग की खेती को कानूनी दायरे में रखा है।
उत्तराखंड वर्ष-2017 में भांग की खेती को वैध करने वाला देश का पहला राज्य बना है। इसके अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी भांग की नियंत्रित खेती की जा रही है। सरकार इन सभी पहलुओं कां भी ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लेगी। भारत की संसद में वर्ष 1985 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत भांग को परिभाषित किया था, जिसके तहत भांग के पौधे से राल और फूल निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन यह कानून औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती की विधि और सीमा निर्धारित करता है।
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