सिरमौर पहुंचे छत्रधारी चालदा महासू महाराज का जोरदार स्वागत

नाहन : देवों की धरती हिमाचल प्रदेश के धार्मिक इतिहास में सिरमौर जिला के गिरिपार की धरती ने नया इतिहास लिख दिया है। हिमाचल और उत्तराखंड के न्याय के देवता के रूप में विख्यात छत्रधारी चालदा महासू महाराज की 60 से 70 हजार श्रद्धालुओं के अगवाई में जातर यात्रा आखिरकार सिरमौर जिला के पहले पड़ाव द्राबिल में रविवार प्रात: करीब तीन बजे पहुंची। उत्तराखंड से सिरमौर जिला में चालदा महासू महाराज की यात्रा ने सायं करीब छह बजे प्रवेश कर लिया था, परंतु हजारों की तादात में उत्तराखंड व हिमाचल के श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते नेशनल हाई-वे-707ए पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी। यही कारण रहा कि उत्तराखंड व हिमाचल की सीमा पर स्थित मिनस से सिरमौर के पहले पड़ाव द्राबिल तक का करीब आठ किलोमीटर का सफर तय करने में जातर यात्रा को करीब नौ घंटे का समय लगा। जैसे ही मध्यरात्रि रविवार सुबह तीन बजे न्याय के देवता छत्रधारी चालदा महाराज द्राबिल पहुंचे, तो पूरा क्षेत्र महासू महाराज के जयकारों से गूंज उठा। द्राबिल में स्थित बोठा महासू महाराज की पालकी का मिलन चालदा महासू महाराज से करवाया गया। गत आठ दिसंबर को उत्तराखंड के दसऊ से शिलाई से 70 किलोमीटर की पैदल प्रवास यात्रा शुरू हुई थी।

हिमाचल व उत्तराखंड में आस्था व न्याय के प्रतीक चालदा महासू महाराज की यात्रा में सामाजिक समरसता, धार्मिक आस्था व सांस्कृतिक संरक्षण की अनूठी मिसाल सामने आई। रविवार दोपहर तीन बजे असंख्य श्रद्धालुओं की अगवाई में चालदा महासू महाराज का छत्र व पालकी जयकारों के साथ करीब 16 किलोमीटर का द्राबिल से पश्मी तक का सफर तय करने के लिए यात्रा आरंभ हुई। हिमाचल सरकार के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान व नाहन के विधायक अजय सोलंकी भी विशेष तौर पर श्री चालदा महाराज की यात्रा में शामिल हुए। करीब 16 किलोमीटर की द्राबिल से पश्मी गांव तक की यात्रा में अनुमानत: 12 घंटे का समय लगने के बाद यह जातर यात्रा सोमवार प्रात: तीन बजे पश्मी में नवनिर्मित महासू महाराज के मंदिर में पहुंचेगी।

80 हजार श्रद्धालुओं के लिए बनेगा भोजन

हिमाचल में पहली बार पश्मी गांव पहुंच रहे चालदा महासू महाराज की यात्रा का मुख्य आकर्षण सोमवार दोपहर का विशाल भंडारा होगा, जिसमें करीब 80 हजार श्रद्धालुओं के लिए भोजन तैयार होगा। भंडारे का प्रसाद तैयार करने को करीब 750 गांव के स्वयंसेवक व कारीगर लगाए गए हैं।

2020 में दसऊ से पश्मी पहुंचा था बकरा

गिरिपार क्षेत्र के पश्मी गांव में वर्ष 2020 में दसऊ से एक विशाल बकरा पहुंचा था। यह महासू महाराज के आगमन का संकेत था। दो वर्ष तक ग्रामीण इस बकरे को साधारण मानते रहे, लेकिन वर्ष 2022 में स्पष्ट किया गया कि यह चालदा महासू का पश्मी गांव में आने का संकेत है, जिसके बाद पश्मी गांव के ग्रामीणों ने करीब दो करोड़ रुपए की लागत से महासू मंदिर का जीर्णोद्वार किया।

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