
एम्स बिलासपुर ने शीतकालीन अवकाश 2025 को लेकर फैकल्टी सदस्यों के लिए विस्तृत रोस्टर जारी कर दिया है। यह आदेश उन फैकल्टी-शिक्षण स्टाफ पर लागू होगा, जिन्होंने 22 दिसंबर 2025 तक संस्थान में छह माह की सेवा पूर्ण कर ली है। पहले चरण की छुट्टियां 23 से 31 दिसंबर और दूसरे की 2 से 10 जनवरी तक होगी। संस्थान ने स्पष्ट किया है कि 1 जनवरी 2026 को सभी फैकल्टी सदस्यों के लिए सामान्य कार्य दिवस रहेगा और इस दिन किसी भी प्रकार का अवकाश मान्य नहीं होगा।
एनेस्थिसियोलॉजी प्रथम चरण में डॉ. पूजा गुरनाल, डॉ. अभिषेक शर्मा, डॉ. अधिरा रमेश, डॉ. महेंद्रन कुरुप और द्वितीय चरण में डॉ. विजयलक्ष्मी शिवापुरापु, डॉ. सुनील ठाकुर, डॉ. वृंदा चौहान, डॉ. अंजना, डॉ. प्रियंका मिश्रा, एनाटॉमी पहले चरण में डॉक्टर संजय कुमार शर्मा, सचिन सोनी, कुमार संभव, दूसरे चरण में प्रो. डॉ. निधि पुरी, डॉ. भाग्यश्री, डॉ. हेमंथ कोम्मुरु, बायोकेमिस्ट्री पहले चरण में डॉक्टर सुनीता शर्मा, अनुराग सांख्यान, दूसरे चरण में डॉ. दीप्ति मलिक, डॉ. संजुक्ता नाइक, अनुदीप पीपी, प्लास्टिक सर्जरी द्वितीय चरण में डॉ. नवनीत शर्मा के अवकाश के दौरान डॉ. चोंगधम अनिल कार्यभार संभालेंगे। कार्डियोलॉजी दूसरे चरण में डॉ. स्वदीप सिंह सिद्धू की जगह डॉक्टर कपिल शर्मा, डॉक्टर पुनीत गर्ग कार्यभार संभालेंगे। कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन पहले चरण में प्रो. डॉ. अनुपम पराशर, मीनल मधुकर, निकिता शर्मा, दूसरे चरण में डॉ. नवप्रीत, डॉ. अनुपमा धीमान, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी पहले चरण में डॉ. योगेशप्रीत सिंह, दूसरे चरण में डॉक्टर रवि कुमार अवकाश पर रहेंगे।
सीटीवीएस विभाग में पहले चरण में डॉक्टर विकास कुमार, इनके अनुपस्थिति में डॉ. नवनीत सिंह कार्यभार संभालेंगे। त्वचा रोग विभाग में दूसरे चरण में डॉक्टर मंजु दरोच, संध्या कुमारी अवकाश पर रहेंगे। इनकी जगह डॉ. अनुभा देव कार्यभार संभालेंगी। एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबोलि दूसरे चरण में डॉ. प्रेयंदर सिंह ठाकुर अवकाश रहेंगे, इनकी जगह डॉ. सुभाष चंदर ब्यूटी देंगे। ईएनटी प्रथम चरण में डॉ. सुमित अंग्राल, डॉ. निधिन दास, दूसरे चरण में डॉक्टर सुदेश कुमार, नेहा चौहान अवकाश पर होंगे। फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग प्रथम चरण में डॉ. दीपेन दाभी, दूसरे चरण में डॉक्टर यतिराज सिंथि अवकाश पर होंगे।
चार्ज संबंधित रिलीविंग अधिकारी को सौंपना होगा
जनरल मेडिसिन में प्रथम चरण में डॉ. कपिल शर्मा, डॉ. सुभाष चंदर, डॉ. रणविजय सिंह, दूसरे चरण में डॉक्टर अजय जरयाल, तरूण शर्मा, शिवानी अजय चौहान अवकाश पर होंगे। जनरल सर्जरी में पहले बरण में डॉ. मोहिम ठाकुर, डॉ. चोंगधम अनिल अवकाश लेंगे। दूसरे चरण में डॉ. अजय कुमार धीमान, डॉ. मनीष कुमार अवकाश पर होंगे। अस्पताल प्रबंधन में पहले चरण में डॉक्टर वरिंद्र कंबर अवकाश पर होंगे। जिन विभागों में केवल एक ही फैकल्टी सदस्य कार्यरत हैं, उन्हें अवकाश पर जाने से पहले विभाग का चार्ज संबंधित रिलीविंग अधिकारी को सौंपना होगा। कुलपति डॉ. राकेश कुमार सिंह ने कहा कि विभागाध्यक्ष की अनुपस्थिति में चार्ज उस अवधि में उपलब्ध वरिष्ठतम फैकल्टी सदस्य को दिया जाएगा।
एम्स में पेट से जुड़े कैंसर का भी होगा इलाज
कैंसर के जटिल मामलों के इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर अत्याधुनिक सुविधा का विस्तार कर रहा है। संस्थान ने पेट से जुड़े कैंसर के इलाज को ऑन्कोलॉजी विभाग के लिए हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथैरेपी सिस्टम की खरीद शुरू कर दी है। यह सिस्टम लगने के बाद मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली, चंडीगढ़ या अन्य महानगरों के निजी और सरकारी अस्पतालों का रुख नहीं करना पड़ेगा। इस सिस्टम की कीमत उसको क्षमता और तकनीकी विशेषताओं के अनुसार करीब 1.5 करोड़ से 2.5 करोड़ के बीच होती है। हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी में सर्जरी के माध्यम से पहले पेट में दिखाई देने वाले कैंसर ट्यूमर को निकाला जाता है। फिर सिस्टम की मदद से कीमोथेरेपी दवाओं को 41 से 43 डिग्री सेल्सियस तक गर्म कर सीधे पेट की गुहा में प्रवाहित किया जाता है। गर्म कीमोथैरेपी दवा कैंसर कोशिकाओं को अधिक प्रभावी ढंग से नष्ट करती है और सर्जरी में दिखाई न देने वाली सुक्ष्म कैंसर कोशिकाओं पर भी असर डालती है।
मरीजों को यह होगा फायदा
हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथैरेपी का उपयोग मुख्य रूप से बड़ी आंत (कोलन) कैंसर, ओवरी कैंसर, अपेंडिक्स कैसर और पेरिटोनियल कैंसर में किया जाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नहडा के प्रयासों से प्रदेश के कैंसर मरीजों को यह सुविधा जल्द मिलने वाली है। मौजूदा समय में इस इलाज पर 6 से 12 लाख या उससे अधिक का खर्च आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, साइपरवर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी से सर्जरी के बाद बची सुक्ष्म कैंसर कोशिकाएं नष्ट होती हैं। पूरे शरीर पर कीमोथैरेपी हैं। कैंसर के दोबारा होने को आशंका घटती है। मरीजों को इलाज के लिए लंबे समय तक बाहर नहीं रहना पड़ेगा।





