हिमाचल: जेबीटी शिक्षक से वसूली का आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द, न्याय का उल्लंघन और सामान्य जांच का अभाव पाया

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जेबीटी शिक्षक के खिलाफ जारी वसूली के आदेशों को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि विभागीय कार्यवाही और वसूली से संबंधित मामलों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। न्यायाधीश रंजन शर्मा की पीठ ने पाया कि शिकायत मूल रूप से जूनियर इंजीनियर के खिलाफ थी। पूरी एसएमसी के सदस्यों से स्पष्टीकरण लिए बिना और सामान्य जांच किए बिना केवल याचिकाकर्ता पर देनदारी डालना उचित नहीं है। न्यायालय ने वसूली आदेशों में प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन और सामान्य जांच का अभाव पाया।

याचिकाकर्ता जिला हमीरपुर में एक प्राइमरी स्कूल में जेबीटी के पद पर कार्यरत थे और स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सदस्य सचिव भी थे। उन्होंने 21 जून 2013 और 17 जून 2014 के वसूली आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया है कि स्कूल में एक कमरे के निर्माण के लिए एसएमसी ने प्रस्ताव पारित किया था। इसके लिए सरकार ने 3,15,000 रुपये की राशि स्वीकृत की थी। इसमें से 30,000 रुपये बाला फीचर्स (बीलिड एज लर्निंग एड) के लिए थे। याचिकाकर्ता का कहना था कि निर्माण कार्य मुख्य रूप से संबंधित जूनियर इंजीनियर द्वारा किया गया था।

हालांकि, निर्माण कार्य के आकलन में विभिन्न रिपोर्टरों में विसंगतियां सामने आईं। एक रिपोर्ट में खर्च 2,88,000 रुपये बताया गया। पुनर्मूल्यांकन में यह राशि घटकर 2,65,000 रुपये हो गई। एसडीओ ब्लॉक बिझड़ी ने एक अन्य आकलन में खर्च 2,75,787 रुपये बताया। इन विसंगतियों के आधार पर विभाग ने याचिकाकर्ता पर 39,213 रुपये की कमी का आरोप लगाते हुए वसूली का आदेश जारी कर दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी जिम्मेदारी से इन्कार करते हुए जवाब दाखिल किया था, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया। न्यायालय ने कहा कि इन विरोधाभासी रिपोर्टों को किसी भी कर्मचारी पर अकेले दायित्व थोपने का आधार नहीं बनाया जा सकता है।

Share the news