हिमाचल में साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसेगी आई क्रैक लैब, जांच प्रकिया होगी तेज

हिमाचल प्रदेश में अब साइबर अपराधी बच नहीं पाएंगे। ऐसे शारितों पर शिकंजा कसने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस साइबर फॉरेंसिक लैब (आई क्रैक) स्थापित कर दी गई है। अपराध अन्वेषण विभाग की साइबर क्राइम विंग ने साइबर कमांडो मधु और अरविंद को आई क्रैक लैब का जिम्मा सौंपा गया है। प्रदेश में यह लैब स्थापित होने के बाद साइबर अपराधों की जांच प्रकिया में तेजी आएगी। तकनीकी उपकरणों और विशेषज्ञों की मदद से अपराधी जल्दी पकड़े जाएंगे।साइबर कमांडो हेड कांस्टेबल मनु की अगुवाई में साइबर क्राइम रिस्पांस एंड मिटिगेशन सेंटर भी स्थापित कर दिया गया है। यह सेंटर साइबर अपराधों को रोकने, उनका पता लगाने और उनसे निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करेगा। इतना ही नहीं, साइबर अपराधों को लेकर यह केंद्र प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में भी काम करेगा। साइबर अपराध से संबंधित शिकायतें दर्ज करना और उनका विश्लेषण करने का जिम्मा भी इस केंद्र को सौंपा गया है। इसके अलावा साइबर कमांडो हेड कांस्टेबल राम की अगुवाई में साइबर क्राइम एंड रिसर्च सेंटर भी स्थापित किया गया है। इस सेंटर को हिमाचल पुलिस के सभी कर्मियों को 10 दिन के बुनियादी प्रशिक्षण का जिम्मा सौंपने की तैयारी है।

साइबर क्राइम विंग के साइबर कमांडो साइबर अपराधों की जांच के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। साइबर कमांडो डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण करेंगे, साइबर अपराधों के विभिन्न मामलों का समाधान निकालेंगे और अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाएंगे। इसके अलावा साइबर सुरक्षा से संबंधित जागरूकता अभियानों का संचालन कर लोगों को साइबर धोखाधड़ी से बचाने का भी काम करेंगे।

हिमाचल में साइबर अपराधों पर शिकंजा कसने के लिए साइबर फॉरेंसिक लैब आई क्रैक स्थापित कर दी गई है। साइबर क्राइम रिस्पोंस एंड मिटिगेशन सेंटर और साइबर क्राइम एंड रिसर्च सेंटर ने भी काम करना शुरू कर दिया है। यदि साइबर अपराध से जुड़ी कोई घटना घटित होती है, तो तत्काल अपनी शिकायत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।– मोहित चावला, डीआईजी, साइबर क्राइम
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