
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता के मामले पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए नए सिरे से विचार करे। यह प्रक्रिया छह सप्ताह के भीतर पूरी की जाए। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाॅल दुआ की एकलपीठ ने राज्य सरकार के दोनों आदेशों को रद्द कर दिया है, जिसमें एक विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी को यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि उसकी पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से अधिक है। अदालत ने कहा कि परिवार की आय की गणना सभी सदस्यों को शामिल करके की जानी चाहिए। 7 मार्च 2019 के सरकारी मेमोरेंडम के अनुसार, चार सदस्यों वाले परिवार के लिए आय की अधिकतम सीमा 2,25,000 है।
अदालत ने कहा कि सरकार ने परिवार में केवल दो सदस्यों की गणना करके आय की सीमा निर्धारित की थी, जबकि परिवार में मां और तीन विवाहित बेटियां हैं। कोर्ट ने इसे मनमाना और भेदभावपूर्ण बताया। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने आवेदन देरी से दायर किया। अदालत ने इस तर्क यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पहले सरकार की नीति में विवाहित बेटियों को पात्र ही नहीं माना गया था। याचिकाकर्ता सविता, जिनके पिता शिक्षा विभाग में जूनियर बेसिक ट्रेंड टीचर के पद पर कार्यरत थे। 6 अप्रैल 2012 को सेवा के दौरान उनका निधन हो गया। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2018 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया। 12 नवंबर 2018 को प्रतिवादियों ने यह कहते हुए उसका दावा खारिज कर दिया कि विवाहित बेटी के लिए अनुकंपा के आधार पर नौकरी का कोई प्रावधान नहीं है।





