हिमाचल: सीएम सुक्खू बोले- जल्द होगी जेसीसी बैठक, किराये के भवनों में चल रहे कार्यालय होंगे शिफ्ट

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि जल्द संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक बुलाकर कर्मचारियों की समस्याएं हल की जाएंगी। जिन विभागों के पास शिमला में अपने भवन या जमीन नहीं है और किराये के भवनों में चल रहे हैं, सिर्फ उन्हें ही शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशालय और शिक्षा निदेशालय (स्कूल) दोनों अपनी वर्तमान स्थिति में बने रहेंगे।  सचिवालय में अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारी हितों की रक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर की अगुवाई में रविवार को मुख्यमंत्री के साथ बैठक हुई। बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर भी उपस्थित रहे।

त्रिलोक ने बताया कि बैठक में महासंघ ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 58 वर्ष से बढ़ाकर 59 वर्ष करने, पेंशनरों के लिए कंप्यूटेशन स्कीम को यथावत बनाए रखने और नियमित भर्तियों को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार कर्मचारी हितों की रक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग अफवाहें फैलाकर सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे किसी भी सूरत में सफल नहीं होने दिया जाएगा।

बैठक में शिक्षा विभाग के गैर-शिक्षक कर्मचारियों की समस्याओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई। शिक्षा मंत्री ने भरोसा दिलाया कि शिक्षा विभाग के सभी कर्मचारियों की पदोन्नति और नियुक्तियां समयबद्ध रूप से की जाएंगी। समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। महासंघ अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर ने उनकी मांगें सुनने और समाधान का आश्वासन देने के लिए मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री का आभार जताया। बैठक में अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के मुख्यालय सचिव रविंद्र सिंह मेहता, कार्यकारिणी सदस्य मुकेश कुमार, शिक्षा निदेशालय इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजकुमार चौधरी, सलाहकार नवल किशोर और उपप्रधान सतीश ठाकुर भी मौजूद रहे।

चिकित्सा विशेषज्ञों के स्टाइपंड में 170 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी

 प्रदेश सरकार ने चिकित्सा विशेषज्ञों के स्टाइपंड में 170 प्रतिशत तक वृद्धि की है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि स्वास्थ्य संस्थानों में आधुनिक तकनीकों के उपयोग और चिकित्सा बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ रेजिडेंट और ट्यूटर स्पेशलिस्ट के लिए स्टाइपंड 60000-65000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है, जबकि सुपर स्पेशलिस्ट और वरिष्ठ रेजिडेंट (सुपर स्पेशलिस्ट) के लिए स्टाइपंड 60,000-65,000 से बढ़ाकर 1.30 लाख रुपये तक कर दिया गया है। प्रदेश में छह मेडिकल कॉलेज और एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल हैं। आईजीएमसी शिमला और डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय टांडा जैसे संस्थान पोस्ट ग्रेजुएट सुपर स्पेशलिस्ट और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के सहयोग से बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत 751 पदों में से वर्तमान में केवल 375 ही भरे हुए हैं, 376 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद रिक्त हैं। स्टाइपंड बढ़ाने से कुशल चिकित्सा पेशेवरों के लिए सरकारी सेवा को अधिक आकर्षक बनाने की उम्मीद है। इतना ही नहीं सरकार ने अध्ययन अवकाश जाने वाले चिकित्सकों को पूरा वेतन देने का फैसला किया है। सरकार प्रदेश में डॉक्टर-नर्स-रोगी अनुपात के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों को लागू करने का प्रयास कर रही है, इन मानदंडों को पूरा करने के लिए भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है।
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