झंडूता के विधायक जीतराम कटवाल ने विधानसभा के बजट सत्र में श्रीमद्भागवत कथा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का उठाया मामला

#बिलासपुर।
झंडूता के विधायक जीतराम कटवाल ने विधानसभा के बजट सत्र में श्रीमद्भागवत कथा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का मामला उठाया। उनका कहना है कि भारतीय संस्कृति और साहित्य का सार भागवत गीता में आता है और यह हमारा धार्मिक ग्रंथ भी है। इसके अलावा इसको जीवन की दार्शनिकता के संदर्भ में भी जाना जाता है। कर्तव्य के बारे में जो सोचा जाता है या टिप्पणियां होती हैं उन सबका उत्कृष्ट संदर्भ श्रीमदभागवत गीता को कहा जाता है। इसमें 18 अध्याय और 720 श£ोक हैं।
कटवाल ने कहा कि कुरूक्षेत्र में जब कौरवों व पांडवों में युद्ध हो रहा था उस समय अर्जुन के दिल और दिमाग में जो आक्रमण्यता आई थी उसको दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता का ज्ञान दिया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि जब भी वह परेशान होते थे तो वे श्रीमदभागवत गीता का सहारा लेते थे और गीता के पन्नों को पलटते थे। इसी प्रकार महान दार्शनिक अरविंद घोष ने कहा था कि गीता एक धर्मग्रंथ या पुस्तक न होकर एक जीवनशैली है जो हर उम्र के व्यक्ति को एक अलग संदेश और सभ्यता का अलग अर्थ समझाती है। उन्होंने कहा कि संसार की समस्त सभ्यता इस ग्रंथ में निहित है तथा गीता के उपदेश जगत कल्याण का सात्विक मार्ग हैं। श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र में खड़े होकर अर्जुन को धर्म समाज, राजनीति व कुटनीति की शिक्षा प्रदान की।
कटवाल ने कहा कि प्रजा के प्रति शासक के कर्तव्य और व्यवहार की शिक्षा तथा कर्म के ज्ञान का भी उपदेश दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष इस मसले को रखा और आग्रह किया कि इस विषय का स्कूली पाठयक्रम में सम्मिलित किया जाए ताकि युवा पीढ़ी इन उपदेश से सीख ले।

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