मार्च-अप्रैल में अप्रत्याशित रूप से तापमान में बढ़ोतरी से हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। विशेषकर निचले ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फ्लावरिंग और सेटिंग प्रभावित हुई है। शिमला जिले के अलावा कुल्लू के आनी और दलाश, मंडी के करसोग सहित अन्य क्षेत्रों में 6000 फीट से कम ऊंचाई वाले बागीचों में नुकसान हुआ है। बागवानी विभाग ने जिला उप निदेशकों से नुकसान की रिपोर्ट मांगी है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी से चिलिंग आवर्स पूरे होने के बाद इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन समय से पहले तापमान बढ़ने से फ्लावरिंग और फ्रूट सेटिंग प्रभावित हुई है।
बढ़िया फ्लावरिंग के लिए मार्च में 26 डिग्री तक तापमान की आवश्यकता थी, मगर तापमान बढ़कर 28 से 30 डिग्री तक पहुंच गया है। फ्लावरिंग की प्रक्रिया जो करीब 15 दिन चलनी चाहिए, 5 दिन में ही सिमट गई। प्रोग्रेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि प्रदेश में 50 फीसदी तक सेब उत्पादन घटने का अनुमान है। उधर, नौणी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने बताया कि फ्रूट ग्रोथ के लिए जमीन में नमी होना जरूरी है। वहीं बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. राज कृष्ण प्रुथी ने बताया कि उपनिदेशकों से जिला स्तर पर नुकसान की रिपोर्ट मांगी गई है। गौर हो कि प्रदेश में सालाना करीब 5000 करोड़ का सेब कारोबार होता है
Editor-Gautam