
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक डा. मोहन राव भागवत ने कहा कि इंसान का इंसान के लिये इंसान जैसा व्यवहार हो वही हिंदुत्व है। उन्होंने कहा कि बासुधैव कुटुंकुम्ब का पर्याय ही हिंदुत्व है। हिंदुत्व मार्केटिंग करना नहीं सिखाता। पिछले 40 हजार साल पूर्व से हमारा एक ही डीएनए है। इस दौरान कई आतातायी आये अपनी संस्कृति, अपनी बोल बाणी हम पर थोपते रहें मगर हमारे पास सालों से ये सब मौजूद था। शनिवार को धर्मशाला कालेज के सभागार में पूर्व सैनिकों के साथ उद्बोधन सम्मलेन कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख डा. मोहन राव भागवत ने यह विचार रखे। उन्होंने कहा कि कि सैनिक की गिनती हमेशा अव्वल दर्जे पर होती है। सैनिक जहां भी रहता है उसका सम्मान होता है। सैनिकों के सम्मान के लिये आरएसएस की एक अलग से परिषद है। जिसे पूर्व सैनिक सेवा परिषद के नाम से जाना जाता
है। उस परिषद के तहत सैकड़ों पूर्व सैनिक आज सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि वह संघ के कार्यकर्ता हों, बावजूद इसके फिर भी वो परिषद से जुड़ते हैं। संघ का काम संघ के लिये नहीं बल्कि देश के लिये है। संघ हमेशा देश के वैभव को जिंदा रखने की बात करता है। उन्होंने कहा कि संघ का इतिहास भविष्य में यह लिखा जाये कि संघ ने देश निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ का स्वयं सेवक हमेशा अपनों की चिंता किये बिना अपना महत्वपूर्ण योगदान अदा करता है। देश के सैनिकों को जहां मूलभूत जरूरत महसूस होती है वहां संघ हमेशा खड़ा रहता है। पूर्व सैनिक सम्मेलन में मौजूद लोगों से अपील करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि आप संघ के स्वयंसेवकों के घर जाकर देखो कि वो कैसे जीता है उसके बाद संघ के साथ जुड़ें। उन्होंने कहा कि आरएसएस पिछले 96 साल से चल रहा है। इसके लिये महज एक घण्टे की शाखा ही काम है। बस उसी से निकलते हैं स्वयं सेवक। वह सब अपने विचारों को व्यक्त करने के लिये स्वतंत्र हैं। अपना जीवन यापन अपने हिसाब से करने के लिये स्वतंत्र हैं। हमारे कई संगठन अपने क्षेत्र में काम करते हैं। एक लाख से ज्यादा लोग निस्वार्थ भाव से अपना काम कर रहे हैं। इसमें काम हिम्मत का है। संघ में दिया कुछ नहीं जाता बल्कि त्याग मांगता है। मिजोरम और कश्मीर घाटी को छोड़ दें तो देशभर के हर राज्य में
हर ब्लॉक में संघ की शाखाएं हैं। देश के लिये जैसा जीना आवश्यक वैसा जीने वाला शख्स संघ मांगता है। डा. भागवत ने कहा कि कोरोना ने भारत की पुरानी परम्पराओं को फिर से
पुनर्जीवित कर दिया। अब दुनिया चाहती है कि भारत अपना मॉडल अपने हिसाब से खड़ा करे। इससे भारत बड़ी शक्ति बने न बने मगर विश्व गुरु तो बन ही सकता है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के पांच जिलों से 601 पूर्व सैनिकों ने भाग लिया।


