
शिमला, 5 जून
विश्व पर्यावरण दिवस हम सभी को पर्यावरण की रक्षा करने के लिए कृत संकल्प प्रेरणा प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के सभी संसाधनों का संरक्षण करना आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हर छोटा कदम महत्वपूर्ण है, जिससे हरित जीवन शैली का विस्तार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने अपने परिवेश के संरक्षण के लिए अनेक पहल की है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा सराहा गया है।
राज्य ने प्लास्टिक और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 1995 में गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा (नियंत्रण) अधिनियम भी पेश किया था। हिमाचल प्रदेश राज्य वर्ष 2009 में हर मोटाई और आकार के प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला प्रदेश था। राज्य ने वर्ष 2019 में एचपी बाय बैक नीति पेश की थी, जहां गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक को विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों के नामित संग्रह केंद्रों पर एकत्र किया जा रहा है। इनका उपयोग सीमेंट उद्योगों और सड़क निर्माण गतिविधियों में किया जा रहा है। राज्य ने हमेशा आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक तर्कसंगत संतुलन बनाने का प्रयास किया है। परन्तु मेरा मानना है कि पर्यावरण संबंधी समस्याओं पर विचार करने के लिए केवल एक दिन ही पर्याप्त नही है, अपितु इसके लिए हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक समाज की स्थापना करनी होगी।उन्होंने पर्यावरण क्विज में विजेता विद्यार्थियों को बधाई दी।
इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में पौधा भी रोपित किया।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण विज्ञान व प्रौद्योगिकी प्रबोध सक्सेना, आईटीसी प्रमुख विनिर्माण और आपूर्ति श्रृखंला एस.बाला कृष्णन, सदस्य सचिव पर्यावरण राज्य पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड अपूर्व देवगन, प्रोवीसी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रो. ज्योति प्रकाश, संजय शर्मा एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। .0.


