

राज्य सरकार खनिजों के परिवहन के दौरान ट्रांजिट पास के दुरुपयोग से जुड़ी भ्रष्ट गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करेगी। इससे रॉयल्टी में होने वाले नुकसान को रोका जा सकेगा और विकास कार्यों को गति मिलेगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को उद्योग विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने खनिजों के परिवहन में फर्जी ट्रांजिट पास के उपयोग पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इसके कारण राज्य सरकार को खनिजों के परिवहन में भारी रॉयल्टी का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने पहले नियम 81ए लागू किया था।इस नियम के अंतर्गत ट्रांजिट पास उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में पंचायतों और अन्य विकास कार्य करने वाली एजेंसियों से 80 रुपये प्रति टन की रॉयल्टी और 20 रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, इस नियम के कार्यान्वयन पर उच्च न्यायालय की ओर से रोक लगाई गई है और इस मामले पर आगामी 25 अप्रैल को सुनवाई होनी है। मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को इस समस्या के समाधान के लिए हर संभव उपाय और वैकल्पिक व्यवस्था पर गंभीरता से विचार करने के निर्देश दिए ताकि विकास कार्यों में कोई भी रुकावट न हो और वह समयबद्ध पूरे किए जा सकें। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पंत, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता अनूप रतन, सचिव विधि शरद कुमार लगवाल, निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य करने का आह्वान किया
हिमाचल प्रशासनिक सेवाएं (एचएएस) अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से शिष्टाचार भेंट की। इस प्रतिनिधिमंडल में वर्ष 2024 बैच के छह एचएएस परिवीक्षाधीन अधिकारी तथा वर्ष 2022, 2023 और 2024 बैच के 16 पदोन्नत एचएएस अधिकारी शामिल थे। यह अधिकारी वर्तमान में डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान शिमला में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों को बेहतरीन सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिकारियों से ईमानदारी और पारदर्शिता जैसे मूल्यवान गुणों को आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है और एचएएस अधिकारी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने अधिकारियों को सरकार की प्रमुख जन कल्याणकारी योजनाओं को प्राथमिकता देने और इन योजनाओं का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में अनावश्यक विलंब की प्रथा को समाप्त कर विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समय सीमा तय कर उन्हें समयबद्ध पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने शासन में पारदर्शिता लाने के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।



