कांग्रेस संगठन का पांच महीने बाद भी नहीं हुआ फैसला, भंग होने के बाद प्रतिभा अकेली पदाधिकारी

हिमाचल : भंग होने के पांच महीने के बाद भी नए हिमाचल प्रदेश कांग्रेस संगठन पर फैसला नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रतिभा सिंह अकेली पदाधिकारी हैं। इस बारे में तस्वीर साफ नहीं है कि संगठन की गतिविधियों के लिए पार्टी अध्यक्ष किसकी आधिकारिक ड्यूटी तय करे और किसे संगठन की गतिविधियों को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी दे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, पार्टी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और अन्य प्रादेशिक नेताओं से मंत्रणा करने के बावजूद आलाकमान नई कार्यकारिणी पर कोई फैसला नहीं ले सका है। पिछले वर्ष राज्यसभा सदस्य के शिमला में हुए चुनाव के दौरान कांग्रेस के छह विधायक भाजपा के साथ हो लिए तो प्रदेश में कांग्रेस का एक प्रभावशाली गुट छितरा गया। सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, इंद्रदत्त लखनपाल जैसे इस गुट के प्रतिबद्ध नेताओं ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा।सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा ऐ गुट के अग्रणी नेता थे। वे हमेशा सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू का विरोध करते रहे।

इनके भाजपा में जाते ही कांग्रेस के अंदर सुक्खू विरोधी कम हो गए। सियासी विशेषज्ञों के अनुसार हिमाचल में कांग्रेस का यह दूसरा गुट भी अब पहले जैसा ताकतवर भी नहीं रह गया है। कुछ नेता भाजपा में चले गए हैं तो कुछ सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीब चले गए हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के विस्तार में भी अब सीएम के करीबी नेताओं का वर्चस्व ज्यादा नजर आ सकता है। हालांकि, कांग्रेस हाईकमान खेमेबाजी को पाटने के लिए कैसे संतुलन बनाएगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

भाजपा अध्यक्ष पर भी टिकीं कांग्रेस आलाकमान की नजरें
राजनीतिक विश्लेषकों का एक मत यह भी है कि भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष पर भी कांग्रेस आलाकमान की नजरें टिकी हुई हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति भी पिछले करीब छह महीने से अटकी हुई है। भाजपा किस संसदीय क्षेत्र से अध्यक्ष बनाती है, कांग्रेस इसे मद्देनजर रखकर भी अपने नए अध्यक्ष या पदाधिकारियों को तय कर सकती है।

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