

शिमला: हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार एक देश एक चुनाव के पक्ष में नहीं हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने संयुक्त संसदीय समिति को स्पष्ट किया कि एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव के विधेयक का कांग्रेस पार्टी विरोध कर रही है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी इस मुद्दे पर उनकी बात का समर्थन किया। दोनों ने इस संबंध में संयुक्त संसदीय समिति से अपनी राय साझा की। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस समिति को उपचुनाव भी साल में एक बार करवाने का सुझाव दिया। एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव से संबंधित संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी ने वीरवार को शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के साथ बैठक की।
यह समिति संविधान के एक सौ उनतीसवां संशोधन विधेयक 2024 और केंद्रशासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक 2024 के तहत गठित की गई है। समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी और अन्य सदस्यों का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों को पारंपरिक हिमाचली टोपी और शॉल भेंट कर सम्मानित किया। समिति ने प्रस्तावित एक देश-एक चुनाव के बारे में विस्तृत-विचार विमर्श किया। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर भी समिति के सदस्य के रूप में बैठक में शामिल हुए।
बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध कर रही है, लेकिन देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत समिति को कुछ सुझाव दिए गए हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए एक वर्ष में उपचुनाव करवाने का प्रावधान रखने का सुझाव दिया गया है। सुक्खू ने समिति को बताया कि बार-बार चुनाव होते हैं और कभी सरकारें गिरती हैं तो कई विधायक इस्तीफे देते हैं। इसलिए यह जरूरी है। हालांकि इससे पहले संयुक्त संसदीय समिति ने इसे वर्तमान व्यवस्था की तरह छह महीने ही रखने की बात की। सीएम ने कहा कि जहां तक इलेक्टोरल रोल की बात है, तो यह पूरे देश में एक ही होना चाहिए, उसमें कोई आपत्ति नहीं।
सीएम ने समिति से पूछा, क्या दो साल ही होगा सरकार का टेन्योर
सीएम सुक्खू ने कहा कि आने वाले समय में एसेंबली का समय क्या होगा। अगर वर्ष 2029 में देश और सब राज्यों में चुनाव हुए तो हिमाचल में सरकार क्या दो साल के लिए रहेगी। यहां तो 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं।एक देश एक चुनाव के हक में हिमाचल भाजपा, बिंदल ने समिति को सौंपी रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश भाजपा एक देश एक चुनाव के हक में है। वीरवार को राजधानी शिमला पहुंची संयुक्त संसदीय समिति को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने इस संदर्भ में अपनी रिपोर्ट सौंपी। उन्होंने कहा कि अलग-अलग समय पर होने वाले चुनाव के कारण सरकार का रोजमर्रा का काम प्रभावित होता है। भारत का संविधान बनने से लेकर 1970 के दशक तक देश में एक साथ चुनाव होते थे। भाजपा ने टीमों का गठन कर पूरे प्रदेश का दौरा कर समर्थन में 1287 प्रस्ताव प्राप्त किए हैं। राजधानी शिमला के अध्ययन दौरे पर आई संयुक्त संसदीय समिति ने एक देश एक चुनाव काे लेकर विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। समिति अध्यक्ष पीपी चौधरी की अगुवाई में आए दल में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर, राज्यसभा सांसद पी विल्सन, भुवनेश्वर, राहुल सिंह, जीशा जेम्स मौजूद रहे। इस दौरान भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल बिंदल की अध्यक्षता में समिति से मिला। पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज, विधायक जीत राम कटवाल, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा एवं जिला अध्यक्ष केशव चौहान भी इस दौरान मौजूद रहे।
भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने समिति को एक देश एक चुनाव पर एक रिपोर्ट दी और बताया कि प्रदेश में 1287 प्रस्ताव इस चुनावी प्रक्रिया के पक्ष में रहे हैं। बिंदल ने कहा कि हमारा स्पष्ट मत है कि जब भारत का संविधान बना, तब से लेकर 1970 के दशक तक संसदीय चुनाव, विधानसभाओं के चुनाव, स्थानीय शहरी निकाय के चुनाव, पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव एक साथ हुआ करते थे। बदलते वक्त के साथ जब 1975 में देश में आपातकाल लगा तो चुनावों का समय बदल गया। इसके साथ ही जो चुनी हुईं सरकारें थीं, उनको तोड़ने का क्रम शुरू हुआ। इस कारण आजकल आए दिन चुनाव होते हैं। एक साल में दो-तीन राज्यों के अलग-अलग समय में चुनाव होते हैं। डाॅ. बिंदल ने कहा कि यदि लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय शहरी निकायों एवं पंचायतीराज के चुनाव एक समय के अंदर पूरे देश में हों तो पैसे की बड़ी बचत होगी। चुनावों में जो लाखों-करोड़ों लोग काम में लगते हैं, उनकी श्रम शक्ति की भी बचत होगी। चुनाव आचार संहिता के लगते ही लंबे समय के लिए विकास कार्य रुक जाते हैं। इसलिए जिस तेज गति के साथ भारत आगे बढ़ रहा है, उस बढ़ते हुए भारत की गति को और तीव्र करने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन के संशोधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।



