अर्की से रत्नपाल की टिकट पर भारी संकट की तलवार , विरोधी खुश ,गोविन्द राम गुट का पलड़ा भारी

अर्की से रत्नपाल की टिकट पर भारी संकट की तलवार , विरोधी खुश ,गोविन्द राम गुट का पलड़ा भारी
-भाजपा हाईकमान ने चुनाव में दो बार हारने वालों को टिकट काटने के दिए हैं संकेत..
-कांग्रेस में फिलहाल संजय अवस्थी हैं आगे
-आप ने भी अर्की में दी दस्तक

सोलन ब्यूरो
भाजपा हाईकमान ने चुनाव में दो बार हारने वालों पर विचार न करने के संकेत से अर्की विस क्षेत्र में खलबली मच गई है। अर्की से पिछले दो चुनाव में रतनपाल भाजपा प्रत्याशी रहे और दोनों बार हारें है। पहले चुनाव में स्वर्गीय वीरभद्र सिंह से 6 हजार से अधिक मतों से हराया .वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में दोबारा टिकट हासिल की। लेकिन दूसरी बार कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने 3219 मतों से हाराया . प्रदेश में भाजपा सरकार और सीएम से लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने रत्नपाल के पक्ष में दौरे किए। बावजूद चुनाव में संजय अवस्थी की रत्नपाल पर अधिकतर बूथ में लीड रही। 26 राउंड तक लगातार आगे बने रहे। अबके भी रतनलाल सक्रिय है और टिकट की रेस में शामिल है। अलग-अलग कार्यक्रम में पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ अक्सर नजर आते है। हालांकि अब तक रतनपाल टिकट को लेकर आश्वस्त नजर रहे है, लेकिन अचानक भाजपा हाईकमान की दो बार चुनाव हारने वालों पर विचार न करने की बात से रत्नपाल की राहें मुश्किलों भरी हो सकती है।
भाजपा हाईकमान के आंतरिक सर्वेक्षण के नतीजों से जो रोडमैप तैयार किया है उस आधार पर अर्की ने एक बार फिर फिरकी लेनी शुरू कर दी है। अर्की की सियासी फिजाओं में चर्चा यह भी है की प्रदेश में सरकार के बावजूद रत्नपाल हारे है। ऐसे में दो बार हारने वालों पर विचार न करना भाजपा हाईकमान के संकेत सही है। उधर, हाईकमान के इस संकेत से इस विस क्षेत्र में रतन पाल के विरोधी गुटों को संजीवनी मिल गई है। खासकर पूर्व में दो बार विधायक रहे गोबिंद राम शर्मा को इस संकेत से आशा की किरण नजर आई है। बता दें बीते उप-चुनाव में भाजपा में गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। रत्नपाल को टिकट मिलने पर गोबिंद राम ने बगावती सुर अपनाए और निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया। लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं की दखलअंदाजी पर गोबिंद निर्दलीय चुनाव तो नहीं लड़े लेकिन चुनाव में रत्नपाल का साथ देने से साफ मना कर गए। अपनी ड्यूटी मंडी विस क्षेत्र में लगवा दी। उधर जिला परिषद सदस्य आशा परिहार औऱ अमर सिंह ठाकुर भी पिछले चुनाव में शुरुआत में विरोध के स्वर उठाते रहे लेकिन पार्टी के प्रति निष्ठा के चलते दोनों को शान्त रहने पर मजबूर होना पड़ा। इस दफा सियासी गलियों में ऐसी भी सुगबुगाहट है कि अर्की में भाजपा महिला कंडीडेट पर भी दांव खेल सकती है। ऐसे में यदि भाजपा इस प्लान पर कामयाब रही तो आशा परिहार की लॉटरी लग सकती है। आशा पिछले 32 वर्षों से राजनीति से जुड़ी है। दो बार निर्दलीय जिला परिषद सदस्य जीती है। गोबिंद राम के साथ तालमेल भी सही है। ये बात भी उठ रही है की पार्टी शिमला से किसी महिला उम्मीदवार को भी चुनावी समर में उतार सकती है। इसके अलावा जिला परिषद अमर सिंह ठाकुर का अपना रसूख है। टिकट के दावेदारों में उनका नाम भी हमेशा शीर्ष पर रहा है। इस दफा वो भी टिकट की दौड़ शामिल होते है या नहीं ये भी निकट भविष्य में सामने आएगा।
युवा व गरीब तबका आम आदमी की राह देख रहा .
उधर आम आदमी पार्टी ने भी अर्की में दस्तक दे दी है। दोनों दलो में अंदरखाते हालात सही नही है। आप ये भलीभांति जानती है। यही वजह है की आप दोनों दलो के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश में जुटी है।

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