प्रदेश में इस बार वनों में आगजनी की घटनाओं में वृद्धि हुई है बल्कि लाखों रुपयों की वनसपंदा भी स्वाह हुई है तथा बढ़ती गर्मी के कारण लोगों का जीना भी दुश्वार हो गया है। जानकारी के अनुसार इस बार पहली अप्रैल से लेकर पहली मई तक एक महीने में ही प्रदेश में वनों में आगजनी की 877 घटनाएं वन विभाग ने दर्ज की हैं जबकि इनसे विभाग को अब तक करीब एक करोड़ 84 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है। प्रदेश मेेें आगजनी की सबसे ज्यादा घटनाएं धर्मशाला में हुई हैं। यहां पर अब तक 215 बार वनों में आग लग चुकी है तथा विभाग को करीब 28 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है तथा 864 हैक्टेयर भूमि आग से प्रभावित हुई है। इसी प्रकार चंबा में 142 घटनाएं आगजनी की हो चुकी हैं तथा 1609 हैक्टेयर भूमि में आग लग चुकी है जिससे विभाग को करीब 68 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। प्रदेश में सबसे कम आग सोलन जिले के जंगलों में लगी है। यहां पर वनों को आग लगने की 17 घटनाएं वन विभाग ने दर्ज की हैं जबकि कुल्ल्लू में 19 व बिलासपुर में 25 घटनाएं आगजनी की दर्ज हुई हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक गत वर्ष प्रदेश में फायर सीजन के दौरान तीन महीनों में 1275 घटनाएं हुई थीं जिसके तहत 9874 हैक्टेयर भूमि प्रभावित हुई थी तथा नुकसान भी 2 करोड़ 61 लाख हुआ था जबकि इस बार एक महीने के अंदर ही प्रदेश में आधे से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। वनों में आगजनी की घटनाएं ज्यादा होने से वन विभाग द्वारा वनों को आग से बचाने के लिए किए जाने वाले प्रबंधों की पोल भी खुलकर रह गई है। हालांकि विभाग द्वारा फायर सीजन शुरू होने से पहले वनों को आग से बचाने के लिए पुख्ता प्रबंध किए जाने के दावे किए जाते रहते हैं। लोगों को विभाग हर बार वनों को आग लगने से होने वाले नुकसान बारे जागरूक भी करता है बावजूद इसके लोग वनों को आग लगाने से बाज नहीं आते जिससे न केवल वन संपदा राख होती है। वन विभाग बिलासपुर के सी.सी.एफ. अनिल कुमार शर्मा ने इसकी पुष्टि की है तथा कहा कि विभाग वनों में लगने वाली आग की घटनाओं को रोकने का पूरा प्रयास कर रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे अपने तुच्छ लाभ के लिए वनों को आग न लगाएं तथा अपने आसपास वनों में लगने वाली आग की सूचना विभाग को तुरंत दें तथा आग बुझाने में विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों का सहयोग करें।