


रितेश चौहान
सरकाघाट
धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि तीन दशकों से सामंतवादी शोषण का शिकार हो रहा है।यहां के विधायक ने हमेशा असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटका कर राजनीतिक रोटियां सेंकी।वोट की राजनीति की परंपरा को मंत्री महेंद्र सिंह और उनका परिवार आज भी बड़ी चालाकी से आगे बढ़ा रहे हैं।इस परिवार को जनता के मूलभूत सुविधाओं से मतलब नहीं मतलब तो केवल खुद और रिश्तेदारों को करोड़पति कैसे बनाया जाए इससे है।विकास के नाम पर अपने मुठी भर रिश्तेदारों और चमचों को करोड़ों रुपए के ठेके देने वाले महेंद्र सिंह के पास हमेशा विजन की कमी रही क्योंकि वह इससे ज्यादा कुछ सोच भी नहीं पाते।आज क्षेत्र के हजारों पढ़े लिखे नौजवान खराब हालत में जिंदगी जीने को मजबूर हैं।जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव चंद्रशेखर ने बताया कि इस परिवार ने सामन्तवादी सोच को ही आगे बढ़ाया जिसका नतीजा है कि पहले उनके पुत्र रजत ठाकुर ने ठेकेदारी के नाम पर करोड़ों रुपए बनाये अब मंत्री का साला, भतीजा, भाई, भानजे, दामाद सब मिलकर इस विधानसभा क्षेत्र को लूट रहे हैं ।कुछ दिनों में ही सारी पिक्चर जनता के सामने दिखाई जाएगी कि किस किस रिश्तेदार ने कितने के ठेके झटके थे।चंद्रशेखर ने कहा कि बड़े शर्म की बात कि महिलाओं को गुमराह करने वाले महेंद्र सिंह जय बाबा कमलाहिया और स्क्रैणि माता के नारे लगाते रहे और महिलाएं अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए मंडी हमीरपुर भटकती रही।आज धर्मपुर अस्पताल में टेस्ट न होने पर इन महिलाओं को सरकाघाट और मंडी जाना पड़ता है।स्व वीरभद्र सिंह ने ही इस अस्पताल को नागरिक अस्पताल का दर्जा दिया था और पैसे का बंदोबस्त किया था लेकिन महेंद्र सिंह ने बड़ी बिल्डिंग का हवाला देकर ठेकेदारों की कमाई का साधन बना दिया।उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह इतने ही सर्वश्रेष्ठ मंत्री हैं तो बताएं अपने क्षेत्र में कितनी महिला विशेषज्ञों की तैनाती कराई।गद्दे, बर्तन और कुर्सियां बांट देने से महिला सशक्तिकरण नहीं हो जाता।कांग्रेस नेता ने दावा किया कि जलशक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह महिलाओं के बीच अपना आधार खिसकते देख अब लालच के झूनझुने देना शुरू कर चुके हैं। संधोल में आयोजित महिला सम्मेलन में महिला मंडलों को सम्मानित करने के नाम पर भीड़ एकत्रित करना इसका ताजा उदाहरण है महिला सशक्तिकरण की दुहाई देने वाले मंत्री जी से यह सवाल करना वाजिब है कि सरकाघाट से होकर धर्मपुर व संधोल के अस्पतालों में अभी तक महिला रोग विशेषज्ञ व हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टर मुहैय्या नहीं करवा पा रहे हैं जिसके लिए न जाने कितनी हमारी माताओं व बहनों को इलाज के लिए दूरदराज जिला व प्रदेश के बाहर जाना पड रहा है संधोल व धर्मपुर पंचायतों को नगर पंचायत तक का दर्जा अभी तक नहीं दिला पाए हैं और न ही धर्मपुर अथवा संधोल या अन्य बाजारों में हो रही भीड़ में सुविधा के तौर पर महिला शौचालयों का निर्माण करवा पाए हैं मनरेगा मजदूरों की भीड़ को अपनी भाजपा रैली का हिस्सा बनाकर वाह – वाही लूटने से अच्छा होता कि मनरेगा एक्ट के ऊपर थोपी जा रही हालिया अधिसूचना जिसमें मनरेगा लेबर को दो समय की आनलाइन हाजरी फोटो सहित लगाने के शाही फरमान को हटाने की बात करते। धर्मपुर विकास खंड की हर पंचायत में चार या पांच बार्ड सदस्य व 27 प्रधान महिलाएं हैं तो उसी तरह लगभग 4-5 पंचायतों में एक – एक ग्राम रोजगार सेवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं किस तरह ये मनरेगा लेबर की आन लाइन हाजरी सुनिश्चित की जाएगी? 50% पंचायती राज महिलाओं को आरक्षित करने वालों ने क्या क्षेत्र में महिलाओं के लिए उसी तर्ज पर रेवडियों में बांटी जा रही नौकरियां प्रदान की है या मात्र वोट की राजनीति तक ही यह छलावा रचा जा रहा है जिसका मकसद परिवार की राजनीति को भविष्य के लिए सजाना है। मंत्री जी को भविष्य में तय करना है कि अपने पुत्र व पुत्री में किसे तरजीह देनी है महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है या फ़िर पुत्र मोह में यह सब आडंबर है।


