एसएफआई राज्य कमेटी 23 और 24 दिसंबर को सोलन में दो दिवसीय राज्य कार्यशाला का करेगी आयोजन

#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*

18 दिसंबर 2024

एसएफआई ने सोलन में होने वाली दो दिन की राज्य कार्यशाला के संदर्भ में प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एसएफआई ने 23 और 24 दिसंबर को होने वाली दो दिवसीय कार्यशाला के संदर्भ में जानकारी साझा की। प्रैस वार्ता को एसएफआई राज्य सचिव दिनीत दैन्टा ने संबोधित किया और कहा कि वर्तमान समय में प्रदेश का छात्र व युवा हताश और निराश है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने युवाओं के साथ वादा खिलाफी की है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार साल में 1 लाख नौकरी का वादा करके व व्यवस्था परिवर्तन का दावा करके सता में आई थी परंतु प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी पूर्व भाजपा सरकार की तरह ही शिक्षा के निजीकरण और स्थाई रोजगार न देकर आउटसोर्स पर भर्तिया करवाने का काम कर रही है, जिसका हालिया उदाहरण स्कूलों में गेस्ट अध्यापक भर्ती करवाने की नीति को लेकर आना है।

एसएफआई राज्य सचिव दिनीत दैन्टा ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार प्रदेश में युवा विरोधी नीतियां लाकर लगातार प्रदेश को पीछे धकेलने का काम कर रही है। प्रदेश में जो युवा व छात्र मेहनत करके प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपने घरों से कोसों दूर रह कर तैयारी कर रहा है कि एक दिन वह अपनी मेहनत से अपने सपने पूरे करेगा, लेकिन बीते दो सालों में सरकारी भर्तियों में ग्रहण लगा है राज्य चयन आयोग भी दो साल से बंद पड़ा था परन्तु कुछ दिनों पहले से पुराने भर्तियों के परिणाम निकाले जा रहे है। इन परिणामों के लिए भी प्रदेश के युवाओं को कई दिनों तक आंदोलन करने पड़े उसके बाद इन परिणामों को घोषित किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा पुरानी स्वीकृत भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है और आउटसोर्स के नाम पर धांधलियों को अंजाम दिया जा रहा है।
एसएफआई का मानना है कि गेस्ट टीचर का प्रावधान नई शिक्षा नीति की ही देन है ,जिसका शुरू से ही एसएफआई विरोध करती आई है।

गेस्ट टीचर के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है साथ ही प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं से नियमित रोज़गार के अवसर को छीना जा रहा है। नई शिक्षा नीति केंद्र में भाजपा की सरकार की ही देन है परंतु राष्ट्रीय स्तर पर इस नीति का विरोध करने वाली कांग्रेस प्रदेश में इस नीति को धड़ले से लागू कर रही है जो कांग्रेस के दोगले चरित्र को उजागर करता है। एसएफआई ने चिंता जाहिर करते हुए कहा हैं कि हिमाचल प्रदेश में सीमित उद्योग और IT सेक्टर न होने के कारण प्रदेश के पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार के लिए सरकार की नौकरियों पर ही निर्भर रहना पड़ता है या तो प्रदेश से बाहर पलायन करना पड़ता है। इन सब परिस्थितितोयों से वाकिफ होने के बावजूद प्रदेश सरकार का यह कदम युवा विरोधी है। एसएफआई का मानना है कि हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू किये जाने से शिक्षा क्षेत्र का ढांचा चरमरा गया है और हिमाचल में रहने वाला गरीब तबका शिक्षा से वंचित रह रहा है। दिनीत ने कहा कि एसएफआई हिमाचल प्रदेश में 1978 से अपनी स्थापना के बाद ही सार्वजनिक शिक्षा को बचाने की लिए संघर्ष कर रही है परन्तु राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद सार्वजनिक शिक्षा का बड़ी तेजी से निजीकरण किया जा रहा है।

आज प्रदेश में बड़े स्तर पर स्कूलो से लेकर कॉलेज और विश्वविद्यालयों में धीरे-धीरे फीस वृद्धि की जा रही है और छात्रों पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया जा रहा है। जिसके खिलाफ आने वाले दोनों में राज्यव्यापी संघर्ष किया जाएगा और एसएफआई आम जनता से अपील करती है कि सार्वजनिक शिक्षा को बचाने की इस लड़ाई में सभी बढ़ चढ़ कर भाग ले। एसएफआई जिला सचिव रोहित ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि एसएफआई की राज्य कार्यशाला में प्रदेश भर से 168 प्रतिनिधि भाग लेंगे और 2 दिनों तक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी ,जिसमें छात्रों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का थोपा जाना, छात्रों के जनवादी अधिकारों का हनन, प्रदेश के कॉलेजो में PTA फंड के नाम से छात्रों से भारी लूट होना, बढ़े स्तर पर शैक्षणिक भ्रष्टाचार होना और स्थाई भर्ती न करवाकर गेस्ट अध्यापक भर्ती जैसे मुद्दों को चर्चा करते हुए छात्रों को लामबंद करने की योजना बनाई जाएंगी। राज्य कार्यशाला को एसएफआई का अखिल भारतीय व राज्य नेतृत्व संबोधित करेगा व प्रदेश भर से आए प्रतिनिधि अलग अलग विषयों पर चर्चा करेंगे।

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